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दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस ने उद्यमियों को पढ़ाया पाठ, कहा- कारोबार में विफलता बड़ी सफलता को दे सकती है जन्म

नयी दिल्लीः अमेजन के संस्थापक और दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस ने बुधवार को छोटे एवं मझोले उद्यमियों के साथ कारोबार में जोखिम उठाने के विषय में खुलकर बातचीत की. उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने उद्यम योजना की भी चर्चा की. भारत की यात्रा पर आए बेजोस ने राजधानी में ‘अमेजन संभव’ कार्यक्रम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 16, 2020 9:19 AM

नयी दिल्लीः अमेजन के संस्थापक और दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस ने बुधवार को छोटे एवं मझोले उद्यमियों के साथ कारोबार में जोखिम उठाने के विषय में खुलकर बातचीत की. उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में अपने उद्यम योजना की भी चर्चा की. भारत की यात्रा पर आए बेजोस ने राजधानी में ‘अमेजन संभव’ कार्यक्रम में बातचीत में कहा, व्यवसाय में प्रयोग के दौरान विफलता कई बार नई चीजों को जन्म देती है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि परिचालन का काम उत्कृष्ट होना चाहिए और इसमें विफलता से बचना चाहिए.

उन्होंने कहा कि विफलता कोई भी पसंद नहीं करता, लोग उस समय भी विफल नहीं होना चाहते जब उन्हें पता होता है कि विफल होना जरूरी और अच्छा है क्योंकि इससे शर्मिंदगी होती है. बेजोस ने कहा कि कई बार हमें लगता है कि हमारा विचार अच्छा है लेकिन कोई उसकी ओर आकर्षित नहीं होता. अमेजन प्रमुख ने कहा कि एक कामयाबी, एक विजेता दर्जनों नाकामियों की भरपाई कर देता है.

उन्होंने उद्यमियों को यह भी बताया कि वह किस तरह से बचपन में 4 से 16 आयु के दौरान अपने दादा के पशु फार्म में गर्मियां बिताते थे. उन्होंने कहा कि मैंने अपने दादा से बहुत सीखा और मुझे लगता है कि ग्रामीण क्षेत्र में बहुत से व्यक्ति इस तरह के होते हैं. वे संसाधन सम्पन्न और आत्मनिर्भर होते हैं. दादा का मेरे मन पर बड़ा असर पड़ा है.

अमेजन द्वारा आयोजित इस दो दिन के कार्यक्रम में पहले दिन इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और फ्यूचर समूह के प्रमुख किशोर बियानी जैसी हस्तियां भी शामिल हुईं. नारायण मूर्ति इस कार्यक्रम के देर से शुरू होने से खिन्न दिखे. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत में ही इसे जाहिर भी किया और उन्हें विलंब की आदत नहीं है.

उन्होंने बेजोस के इस वक्तव्य की तारीफ की कि 21वीं सदी भारत की होगी. साथ में यह भी कहा कि इस बात को सच साबित करने का दायित्व भारत के लोगों का है. मूर्ति ने कहा कि भारत में 85 प्रतिशत कारोबार असंगठित क्षेत्र में होता है. बाकी के 15 प्रतिशत में 10 प्रतिशत योगदान एसएमबी (लघु एवं मझोले उद्यम) और पांच प्रतिशत बड़ी कंपनियों का है.

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