कौन था करीम लाला? जिसका नाम संजय राउत ने लिया और कांग्रेस-शिवसेना में लग गई आग
मुंबईः शिवसेना के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बुधवार को एक कार्यक्रम में एक ऐसा बयान दे दिया जिससे सियासी जगत में तूफान आ गया. ये बयान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जुड़ा था. राउत के इस बयान के बाद राज्य की सत्ता में सहयोगी कांग्रेस के नेताओं के शब्द तल्ख हो […]
मुंबईः शिवसेना के कद्दावर नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बुधवार को एक कार्यक्रम में एक ऐसा बयान दे दिया जिससे सियासी जगत में तूफान आ गया. ये बयान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से जुड़ा था. राउत के इस बयान के बाद राज्य की सत्ता में सहयोगी कांग्रेस के नेताओं के शब्द तल्ख हो गए. एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना गठबंधन की सरकार हिलोरें मारने लगी. हालांकि इस तूफान को संजय राउत ने खुद ही संभाला. गुरुवार को वो मीडिया के सामने आए और अफना बयान वापस ले लिया. उन्होंने कहा कि उनका उदेश्य किसी को भी आहत करना नहीं था.
संजय राउत ने क्या कहा था ?
एक कार्यक्रम में शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया था कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी माफिया डॉन करीम लाला से मुलाकात करने के लिए मुंबई आया करती थीं. संजय राउत के इस बयान के बाद सियासी घमासान मच गया.
भाजपा ने साधा निशाना ?
संजय राउत के इस बयान पर बीजेपी ने कांग्रेस से पूछा है कि क्या कांग्रेस उस समय अंडरवर्ल्ड के भरोसे चुनाव जीतती थी, क्या कांग्रेस को अंडरवर्ल्ड से फाइनेंस मिलता था. जिस करीम लाला के नाम आने से इतना घमासान मचा है वो था कौन?
कांग्रेस ने किया हमला?
कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने संजय राउत पर तंज कसते हुए कहा है कि कभी-कभी अधकचरा ज्ञान वीभत्स हो जाता है. शिवसेना के मि. शायर ने कहा है कि माफिया सरगना करीम लाला पठान समुदाय का नेता था. चौंकिएगा मत अगर कल ये कहें कि दाऊद इब्राहिम कोंकणी मुसलमानों का नेता है. पूर्व केन्द्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने कहा कि राजनेताओं को उन प्रधानमंत्रियों की विरासत गलत तरीके से पेश करने से बचना चाहिए, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.
देवड़ा ने कहा कि कांग्रेस की मुम्बई इकाई का पूर्व अध्यक्ष होने के नाते मैं संजय राउत जी से उनके गलत बयान को वापस लेने का अनुरोध करता हूं. मुम्बई कांग्रेस के एक और पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने कहा कि राउत ने गांधी के खिलाफ अगर झूठा अभियान जारी रखा तो उन्हें पछताना पड़ेगा. राउत द्वारा ट्विटर पर अक्सर दूसरों की कविताएं साझा किए जाने का संदर्भ देते हुए निरुपम ने कहा कि बेहतर होगा कि अगर शिवसेना नेता कविताओं से महाराष्ट्र का मनोरंजन करने पर भी ध्यान दें.
करीम लाला था कौन ?
पिछली सदी में ’60 के दशक से लगभग 20-25 साल तक हिन्दुस्तान की आर्थिक राजधानी मुंबई के सबसे खतरनाक माफिया डॉनों में से एक के तौर पर गिना जाता रहा करीम लाला वह नाम है, जो फिर चर्चा में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 20वीं सदी के दूसरे दशक की शुरुआत में अफगानिस्तान के कुनार में जन्मा अब्दुल करीम शेर खान मुंबई में मौजूद बाकी दोनों बड़े डॉन – वरदराजन मुदलियार (वरदा भाई) और मस्तान मिर्ज़ा (हाजी मस्तान) के साथ मिलकर बेखौफ गैरकानूनी धंधे चलाता रहा.
बताया जाता है कि करीम लाला 1920 के दशक में मुंबई आया था, और उसका परिवार दक्षिणी मुंबई के बेहद घनी आबादी वाले मुस्लिम इलाके भिंडी बाजार में बस गया. 40 के दशक में मुंबई बंदरगाह पर मामूली मज़दूर के तौर पर काम करने वाला करीम लाला जल्द ही पठानों के गैंग में शामिल हो गया था, जो उस समय तक गुजराती ज़ायदाद मालिकों और व्यापारियों के लिए देनदारों से वसूली का काम किया करता था. लेकिन बहुत लम्बे वक्त तक ऐसा नहीं रहा, और जल्द ही करीम लाला पठान गैंग का सरगना बन गया, जो तब तक सुपारी लेकर कत्ल करने से लेकर जबरन घर खाली करवाने, अगवा और जबरन वसूली तक के काम करने लगा था.
करीम लाला ने इन धंधों के अलावा गैरकानूनी शराब और सट्टे का धंधा भी बेहद कामयाबी से चलाया, और वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान के साथ समझौता कर इलाके बांट लिए,ताकि एक-दूसरे से टकराव के बिना तीनों गैंग अपने-अपने गैरकानूनी धंधे चलाते रहें. दक्षिणी मुंबई के डोंगरी, नागपाड़ा, भिंडी बाज़ार और मोहम्मद अली रोड जैसे मुस्लिम इलाकों में ‘बेखौफ राज’ चलाने वाले करीम लाला ने ’70 के दशक के अंत में बिगड़ती सेहत को देखकर पठान गैंग और अपना गैरकानूनी कारोबार अपने भतीजे समद खान को सौंप दिया, और अपने कानूनी धंधों में ध्यान देने लगा, जिनमें दो होटल और एक ट्रैवल एजेंसी शामिल थे.
कहा जाता है कि अपने कामयाबी के दिनों में करीम लाला बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियों को अपनी दावतों और ईद पर आयोजित कार्यक्रमों में बुलाया करता था, और कई हिन्दी फिल्मों में करीम लाला से मिलते-जुलते किरदार भी रखे गए. यह भी कहा जाता है कि वर्ष 1973 में आई सुपरहिट फिल्म ‘ज़ंजीर’ में प्राण द्वारा निभाए गए ‘शेर खान’ के हावभाव करीम लाला से मिलते-जुलते थे.करीम लाला की मौत 90 साल की उम्र में 19 फरवरी, 2002 को हुई.
दाऊद की की थी पिटाई, जिसकी चर्चा आज भी होती है
तस्करी के धंधे में दाऊद के आने से करीम लाला हैरान परेशान था. दोनों के बीच दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी. बताते हैं कि एक बार में दाऊद इब्राहिम मुंबई में ही करीम लाला के हत्थे चढ़ गया था. दाऊद को पकड़ने के बाद करीम लाला ने जमकर उसकी पिटाई की थी. इस दौरान दाऊद को गंभीर चोटें आई थीं. यह बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में आज भी प्रचलित है. अंडरवर्ल्ड में दाऊद की एंट्री से पहले खून खराबा नहीं होता था. लेकिन करीम लाला से दुश्मनी लेकर दाऊद को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा.
दोनों के बीच दुश्मनी और नफरत इस कदर बढ़ गई कि 1981 में करीम लाला के पठान गैंग ने दाऊद इब्राहिम के भाई शब्बीर की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी. शब्बीर के कत्ल से दाऊद इब्राहिम तिलमिला उठा था. मुंबई की सड़कों पर गैंगवार शुरू हो गई थी. दाऊद गैंग और पठान गैंग के बीच खूनी जंग का आगाज हो चुका था. दाऊद अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था और शब्बीर की मौत के ठीक पांच साल बाद 1986 में दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने करीम लाला के भाई रहीम खान को मौत के घाट उतार दिया था.