नयी दिल्ली : रूस ने शुक्रवार को कहा कि उसने भारत के लिए सतह से हवा में मार करने वाली लंबी दूरी की एस-400 मिसाइल का निर्माण शुरू कर दिया है और सभी पांच मिसाइलें 2025 तक भारत को सौंप दी जायेंगी.
रूसी मिशन के उपप्रमुख रोमन बाबुशकिन ने यह भी कहा कि भारत के लिए हल्के वजन वाले बहुउद्देशीय कामोव सैन्य हेलीकॉप्टरों के संयुक्त निर्माण के लिए जल्द ही एक अनुबंध को अंतिम रूप दिया जायेगा. रूसी राजदूत निकोलई कुदाशेव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को इस साल 5,000 कलाश्निकोव राइफलों की पहली खेप मिल जायेगी जो संयुक्त उपक्रम के तहत भारत में बनायी जायेंगी. बाबुशकिन ने कहा कि रूस और भारत ने भुगतान मुद्दों का सफल समाधान खोज लिया है और इस साल रक्षा क्षेत्र में बड़े सौदों के क्रियान्वयन पर ध्यान दिया जायेगा.
उन्होंने विस्तार से जानकारी दिय बिना कहा, पांच एस-400 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति 2025 तक पूरी कर ली जायेगी. उनका निर्माण पहले से शुरू हो चुका है. अक्तूबर 2018 में, भारत ने वायु रक्षा प्रणाली खरीदने के पांच अरब डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किये. उसने ट्रंप प्रशासन की उस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए इस सौदे पर हस्ताक्षर किये थे कि यह करार करने पर उस पर अमेरिकी प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं. पिछले साल भारत ने मिसाइल प्रणालियों के लिए रूस को 80 करोड़ डॉलर की पहली किस्त का भुगतान किया था.
बाबुशकिन ने इस बात पर जोर देते हुए कि एस-400 वायु रक्षा प्रणालियां विश्व में सबसे बेहतरीन हैं, कहा कि वे भारत की वायु रक्षा प्रणाली को बहुत हद तक मजबूती देंगी. एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली के तौर पर जानी जाती है. अमेरिका ने रूस पर सीएएटीएस (प्रतिबंधों के जरिए अमेरिका के शत्रुओं से निपटना) कानून के तहत कड़े प्रतिबंध लगाये हैं. कानून में रूस से रक्षा हार्डवेयर खरीदने वाले देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का भी प्रावधान है. लंबे वक्त से लंबित चल रहे कामोव सैन्य हेलीकॉप्टरों के उत्पादन के संयुक्त उपक्रम पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक करार पर जल्द हस्ताक्षर किये जायेंगे.