मित्रा को टाटा का करारा जवाब, बतायें कहां नहीं देख सका औद्योगिक विकास

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के वित्‍त मंत्री अमित मित्रा की रतर टाटा पर की गयी टिप्‍पणी का करारा जवाब उन्‍हें मिल चुका है. मित्रा के टिप्‍पणी पर रतन टाटा ने कहा, ‘मैंने राज्य के औद्योगिक विकास के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की. इसलिए मित्रा की टिप्पणियां हैरान करने वाली हैं. मित्रा को शायद लगता है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 7, 2014 9:23 PM

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के वित्‍त मंत्री अमित मित्रा की रतर टाटा पर की गयी टिप्‍पणी का करारा जवाब उन्‍हें मिल चुका है. मित्रा के टिप्‍पणी पर रतन टाटा ने कहा, ‘मैंने राज्य के औद्योगिक विकास के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की. इसलिए मित्रा की टिप्पणियां हैरान करने वाली हैं. मित्रा को शायद लगता है कि ‘मेरा दिमाग गडबडा गया है.’ मुझे खुशी होगी अगर वे मुझे बता सकें कि राजरहाट से गुजरते हुए मैं किस औद्योगिक गतिविधि को नहीं देख सका. अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो मुझे यही निष्कर्ष निकालना पडेगा कि वे बहुत कल्पनाशील हैं.

मुख्य उद्योगपति रतन टाटा ने कहा कि अमित मित्रा का गुस्सा अनावश्यक है. राज्य में औद्योगीकरण की कमी के बारे में रतन टाटा की टिप्पणी पर मित्रा ने आज सुबह कहा था कि लगता है कि टाटा ‘भ्रांतिग्रस्त’ हो गये हैं.

इसपर टाटा ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के बारे में कभी बात नहीं की बल्कि हवाई अड्डे से राजरहाट होकर शहर में आने की अपनी यात्रा के दौरान जो कुछ देखा उसके आधार पर ही कल कुछ टिप्पणियां की थीं.

टाटा ने ट्वीटर पर लिखा, ‘कल की मेरी टिप्पणियां हवाई अड्डे से राजरहाट होकर मौर्या तक की यात्रा से सम्बद्ध थीं. मैंने बहुत सा आवासीय व वाणिज्यिक विकास देखा लेकिन मुझे औद्योगिक विकास नजर नहीं आया.’

इससे पहले भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में मित्रा ने कहा, ‘टाटा अब बूढे हो चुके हैं और भ्रम से ग्रस्त हो गये हैं. मै नहीं जानता कि वह जो कुछ हो रहा है उसे क्यों नहीं समझ पा रहे.’ टाटा संस के मानद अध्यक्ष रतन टाटा ने कल टिप्पणी की थी, ‘पश्चिम बंगाल में औद्योगिक विकास के कोई संकेत नहीं नजर आ रहे हैं.’ टाटा ने यह टिप्पणी इंडियन चैंबर ऑफ कामर्स के महिला अध्ययन समूह की बैठक में की थी.

जानिये क्‍या कहा था पश्चिम बंगाल के वित्‍त मंत्री ने

Next Article

Exit mobile version