राजनाथ ने कहा- पाकिस्तान, यहां तक अमेरिका भी मजहबी देश, भारत धर्मनिरपेक्ष

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारतीय मूल्यों में सभी धर्मों को बराबर माना गया है और यही वजह है कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है और यह पाकिस्तान की तरह थियोक्रैटिक (मजहबी) देश कभी नहीं बना. दिल्ली में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एनसीसी के शिविर में रक्षा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 22, 2020 4:35 PM

नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि भारतीय मूल्यों में सभी धर्मों को बराबर माना गया है और यही वजह है कि हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है और यह पाकिस्तान की तरह थियोक्रैटिक (मजहबी) देश कभी नहीं बना.

दिल्ली में गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एनसीसी के शिविर में रक्षा मंत्री ने कहा, हम (भारत) कहते हैं कि हम धर्मों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे. हम ऐसा क्यों करें? हमारा पड़ोसी देश तो यह एलान कर चुका है कि उसका एक धर्म है. उन्होंने खुद को मजहबी देश घोषित किया है. हमने ऐसी घोषणा नहीं की है. सिंह ने कहा, यहां तक अमेरिका भी मजहबी देश है. भारत एक मजहबी देश नहीं है. क्यों? क्योंकि हमारे साधु-संतों ने न केवल हमारी सीमाओं के भीतर रहने वाले लोगों को अपने परिवार का हिस्सा माना, बल्कि पूरी दुनिया में रहने वाले लोगों को भी परिवार बताया.

रक्षा मंत्री ने कहा, उन्होंने (साधु-संतों ने) ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की उक्ति दी जिसका मतलब है कि पूरा विश्व एक परिवार है. पूरे विश्व में यह संदेश यहां से ही गया. सिंह ने ‘एनसीसी रिपब्लिक डे कैंप 2020′ के अवसर पर बुधवार को एनसीसी के कैडेट के बैंड का अवलोकन किया और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देखी. उन्होंने एनसीसी के कैडेट को रक्षा मंत्री पदक और प्रशस्ति पत्र दिये. उन्होंने कहा, हमारे भारतीय मूल्य कहते हैं कि सभी धर्म बराबर हैं. इसलिए भारत ने खुद को कभी भी मजहबी देश घोषित नहीं किया. हमने कभी नहीं कहा कि हमारा धर्म हिंदू, सिख या बौद्ध होगा. हमने ऐसा कुछ भी कभी भी नहीं कहा. हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं. यहां सभी धर्म के लोग रह सकते हैं.

सिंह ने एनसीसी के कैडेट की परेड और विभिन्न प्रस्तुतियों की सराहना की और कहा कि इससे भारतीय युवाओं में राष्ट्रीय गर्व का भावना बलवती होगी. उन्होंने कहा, मैंने यहां आज जो देखा, उसकी तुलना मैं उससे करने की कोशिश कर रहा था जब मैं स्वयं एनसीसी का कैडेट था. मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि वक्त बदल चुका है. अपने वक्त में, मैं इस तरह की सांस्कृतिक प्रस्तुति की कल्पना भी नहीं कर सकता था. उन्होंने कहा कि विश्व के सबसे बड़े युवा संगठन एनसीसी का हिस्सा होने पर सभी लड़कों, लड़कियों को गर्व होना चाहिए.

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