15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब राजस्थान विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव पारित

जयपुर : राजस्थान विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ एक संकल्प प्रस्ताव शनिवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने प्रस्ताव पेश करते हुए इस कानून को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया और कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धक्का लगा है. […]

जयपुर : राजस्थान विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ एक संकल्प प्रस्ताव शनिवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया. संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने प्रस्ताव पेश करते हुए इस कानून को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया और कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धक्का लगा है.

वहीं विपक्षी भाजपा ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपने राजनीतिक एजेंडे और तुष्टिकरण की नीति के तहत यह प्रस्ताव लेकर आयी है. इस संकल्प प्रस्ताव में विधानसभा ने सीएए को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए कहा गया है कि इससे देश का पंथनिरपेक्ष तानाबाना जोखिम में पड़ जायेगा. इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है इस कानून को निरस्त किया जाये. प्रस्ताव पर हुई बहस में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने राज्य विधानसभा में सीएए को चुनौती देने के अधिकार पर सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि नागरिकता देना केंद्र की बात है तो इस स्थिति में हमें सीएए को चुनौती देने का क्या अधिकार है.

कटारिया ने कहा कि कांग्रेस को तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति करना बंद करना चाहिए. भाजपा के कई नेताओं ने इस बहस में भाग लेते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह अपने राजनीतिक एजेंडे और इसकी तुष्टिकरण की राजनीति के चलते यह प्रस्ताव सदन में लायी है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का समर्थन महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जैसे प्रमुख नेताओं द्वारा किया गया था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने राजनीतिक एजेंडे और तुष्टिकरण की राजनीति के चलते यह संकल्प ले आयी है.

भाजपा नेताओं ने कहा कि सीएए चूंकि अब कानून बन चुका और इसको चुनौती दिए जाने का मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए प्रस्ताव लाने का कोई औचित्य नहीं है. वहीं, बहस का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री धारीवाल ने कहा कि इस कानून से देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को आघात पहुंचा. उन्होंने कहा कि पूरे देश में सीएए का तगड़ा और व्यापक विरोध हो रहा है. उन्होंने कहा कि यह कानून लाये जाने की कोई जरूरत नहीं थी और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धक्का लगा है. इससे पहले धारीवाल ने यह संकल्प प्रस्ताव सदन में रखा था. संकल्प में उन्होंने कहा कि हमारे देश के संविधान में यह स्पष्ट कथन है कि भारत एक पंथनिरपेक्ष देश है. यह संविधान की एक आधारभूत विशेषता है जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि संसद द्वारा हाल ही में पारित संशोधित नागरिकता कानून का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है. इसके अनुसार, धर्म के आधार पर लोगों में ऐसा विभाग संविधान में प्रतिष्ठित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है और यह स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. इसके अनुसार इससे देश का पंथनिरपेक्ष ताना बाना जोखिम में पड़ जायेगा. संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि सीएए को निरस्त किया जाये. इसके साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) 2020 के अद्यतन के लिए मांगी जाने वाली नयी सूचनाओं को भी वापस लेना चाहिए. जब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल इस आशय का संकल्प पेश करने उठे तो नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया.

उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद सीएए पहले ही कानून बन चुका है ऐसे में इस तरह का संकल्प पत्र पेश करने का औचित्य नहीं है. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने उनकी आपत्ति को खारिज करते हुए इसे जन अभिव्यक्ति का हिस्सा बताया. इसके बाद भाजपा के विधायक ‘सीएए लागू करो’ के नारे लगाते हुए आसन के सामने आ गये. धारीवाल ने शोरशराबे के बीच संकल्प पत्र पढ़ा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें