नयी दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वार्ता के जरिये शांतिपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाने के बजाय भारत के खिलाफ ‘आतंकवाद को राज्य नीति’ के तौर पर इस्तेमाल के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंकवादी समूहों के खिलाफ ऐसा कदम जरूर उठाना चाहिए, जो सबको नजर आये. सिंह ने 12वें दक्षिण एशिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह जरूरी है कि आतंकवादी और उनका वैचारिक और वित्तीय नेटवर्क टूटे और उन्हें सरकार का समर्थन ना मिले. उन्होंने कहा, क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के मद्देनजर संयुक्त दृष्टिकोण विकसित करने के लिए भारत एक देश को छोड़कर अपने पड़ोसियों के साथ संवाद करता रहता है. क्षेत्रीय सुरक्षा कायम करने के लिए एक-दूसरे की संवेदनाओं को समझना और हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है.
सिंह ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र को आतंकवाद को हराने के लिए अपने प्रयासों में जरूर एकजुट होना चाहिए. मुंबई, पठानकोट, उरी और पुलवामा हमले पड़ोसी देश द्वारा राज्य प्रायोजित आतंकवाद की बर्बर याद दिलाते हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को आतंकी समूहों के खिलाफ ऐसे कदम जरूर उठाने चाहिए जो सबको नजर आये. सिंह ने समावेश और एकता के बारे में भारत के विचार पर जोर देते हुए कहा कि भारत ने हमेशा वसुधैव कुटुंबकम के दर्शन को अपनाया है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में देश के पड़ोस को अपनी विदेश नीति की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता के तौर पर चिन्हित किया गया है.। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में अपने शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेस के नेताओं को आमंत्रित किया था और 2019 के शपथ ग्रहण में बिम्सटेक नेताओं को बुलाया गया, यह पड़ोस को तवज्जो दिये जाने का संकेत है. भारत की ‘पड़ोस पहले नीति : क्षेत्रीय धारणा’ पर 12वें दक्षिण एशिया कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि भारत पड़ोस में शांति और समृद्धि को अपने विकास और स्वहित में महत्वपूर्ण मानता है. रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) ने सम्मेलन का आयोजन किया था. इसमें भूटान के राजदूत वी नामग्याल और प्रधानमंत्री के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ने भी शिरकत की.