हर्ष वर्धन शृंगला ने संभाला नये विदेश सचिव का कार्यभार
नयी दिल्ली : वरिष्ठ राजनयिक हर्ष वर्धन शृंगला ने बुधवार को नये विदेश सचिव का कार्यभार संभाल लिया. उन्होंने विजय गोखले की जगह ली है. उन्हें दो वर्ष के लिए विदेश सचिव नियुक्त किया गया है. शृंगला ऐसे समय पदभार संभाल रहे हैं, जब भारत के समक्ष विदेश नीति संबंधी कई चुनौतियां हैं. इनमें नये […]
नयी दिल्ली : वरिष्ठ राजनयिक हर्ष वर्धन शृंगला ने बुधवार को नये विदेश सचिव का कार्यभार संभाल लिया. उन्होंने विजय गोखले की जगह ली है. उन्हें दो वर्ष के लिए विदेश सचिव नियुक्त किया गया है.
शृंगला ऐसे समय पदभार संभाल रहे हैं, जब भारत के समक्ष विदेश नीति संबंधी कई चुनौतियां हैं. इनमें नये नागरिकता कानून को लेकर कुछ देशों और वैश्विक संस्थानों द्वारा भारत की आलोचना के बीच राजनीतिक पहुंच बढ़ाना शामिल है. भारत क्षेत्र में अधिकाधिक मुखर ट्रंप प्रशासन और अपने सैन्य और आर्थिक प्रभाव का विस्तार करने के चीन के प्रयास का सामना भी कर रहा है. शृंगला (57) विदेश सेवा के 1984 बैच के अधिकारी हैं. उन्होंने करीब एक साल तक अमेरिका में भारतीय राजदूत के तौर पर सफलतापूर्वक जिम्मेदारी निभायी.
कार्यभार संभालने से पहले शृंगला ने पत्रकारों से कहा था यह बेहद स्पष्ट है कि विदेश सेवा जन सेवा है और सभी प्रयास देश को समर्पित होने चाहिए. उन्होंने कहा, मैं राष्ट्र-निर्माण में मंत्रालय की भूमिका के लिए प्रतिबद्ध हूं जैसा कि मैं 36 साल पहले था. तब मैं एक युवा के तौर पर इनसे जुड़ा था. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर, अपने राजनीतिक नेतृत्व के मार्गदर्शन और मंत्रालय के अंदर तथा बाहर अपने सहकर्मियों के समर्थन एवं सहयोग के साथ काम करने को उत्साहित हूं. श्रृंगला ने कहा, मैं इस तथ्य से अवगत हूं कि मैं अपने बेहतरीन, महान और वरिष्ठों की जगह ले रहा हूं, जिन्होंने अपने काम में पेशेवर स्तरों और ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बरकरार रखा है.
उन्होंने कहा कि उनसे पहले विजय गोखले और एस जयशंकर ने एक बेहतरीन उच्च मानक तय किये हैं, जिन्हें हम भारत और विश्व में हर जगह विदेश नीति के प्रमुख अधिकारियों में से एक के रूप में जानते हैं. अपने 35 साल के एक कूटनीतिक करियर में शृंगला ने नयी दिल्ली और विदेशों में कई पद संभाले हैं और उन्हें भारत के पड़ोसी देशों का एक विशेषज्ञ माना जाता है. शीर्ष पद पर शृंगला की नियुक्ति में सरकार ने वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन नहीं किया. ब्रिटेन में 1982 बैच की आइएफएस अधिकारी, भारतीय उच्चायुक्त रुचि घनश्याम भी इस पद की दावेदार थीं.