नयी दिल्ली: दुनियाभर में यातायात व्यवस्था और ट्रैफिक की स्थिति को लेकर एक वैश्विक रिपोर्ट जारी की गयी है. इस सर्वे में 57 देशों के तकरीबन 416 शहरों का शामिल किया गया था. इस रिपोर्ट में ये दिखाने की कोशिश की गयी है कि किस देश के कौन से शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था अच्छी नहीं है. साथ ही ये भी दिखाने की कोशिश की गयी है कि किन शहरों में लोगों का कितना समय ट्रैफिक जाम में बर्बाद करना पड़ा.
भारतीय शहरों को पहली बार साल 2017 में इस सर्वे सूची में शामिल किया गया था. भारतीय शहर बेंगलुरु 2019 की सूची में शीर्ष पर रहा. इसका मतलब कि यहां की सड़कों पर लंबे समय तक जाम की समस्या बनी हुई है.
भारत 2017 में पहली बार सूची में हुआ शामिल
पहली बार भारत के दो शहर इस सूची में शामिल थे. इसमें 10 देशों की सूची में भारत के दो शहर राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई पहले दो पायदान पर शामिल थी. वहीं 2018 में भी मुंबई शीर्ष पर रही लेकिन दिल्ली ने अपनी स्थिति में सुधार किया और दो पायदान नीचे चौथे स्थान पर रही. साल 2019 की रिपोर्ट में बेंगलुरू ने मुंबई को पछाड़ दिया और शीर्ष स्थान पर रहा. मुंबई तीन पायदान खिसक कर चौथे नंबर पर रहा.
इस सूची में महाराष्ट्र के ही एक शहर पुणे पहली बार शामिल हुआ और पांचवें नंबर पर रहा. दिल्ली तीन स्थान खिसकी और आठवें नंबर पर रही. ये रैंकिंग इस आधार पर हुई कि कौन सा शहर कितनी देर ट्रैफिक में जूझता रहा.
जानिए कितना घंटा लोगों ने ट्रैफिक में बिताया
इस वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक इस सूची में शामिल शहरों में लोगों ने 71 फीसदी अतिरिक्त वक्त ट्रैफिक जाम में बिताया. वहीं मुंबई की बात करें तो यहां वाहन चालकों ने जाम की वजह से 65 फीसदी अतिरिक्त वक्त सड़कों पर बिताया. बता दें कि जब से भारतीय शहरों को इस सर्वे रिपोर्ट में शामिल किया गया है तब से लगातार दो साल (2017-2018) मुंबई इस सूची में शीर्ष पर रही. दिल्ली जो साल 2017 में दूसरे नंबर पर थी उसने 2019 में अपनी स्थिति में सुधार किया है.
2019 की सूची में पुणे पहली बार शामिल किया गया. इस सूची में पुणे पांचवें नंबर पर रहा. यहां ट्रैफिक जाम की वजह से लोगों ने सड़क पर 59 प्रतिशत अधिक वक्त बिताया.
सर्वे में ये भी बताया गया है कि भारतीय शहर सप्ताह के किस दिन में सबसे ज्यादा ट्रैफिक की वजह से परेशान रहे. रिपोर्ट बताती है कि शुक्रवार की शाम को दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु के लोगों के लिये सबसे मुश्किल थी क्योंकि इस समय 30 मिनट की यात्रा में लोगों को पांच घंटे का अतिरिक्त वक्त बर्बाद करना पड़ा.
दिल्ली के लिए ये दिन था सबसे ज्यादा मुश्किल
पीक ऑवर्स यानी की शाम को सात से आठ बजे के बीच दिल्ली में लोगों ने औसतन 190 घंटा सड़क पर बिताया. दिन के हिसाब से देखें तो लोग साल में पूरा एक सप्ताह ट्रैफिक में ही रहे. प्रत्येक सप्ताह दिल्ली के लोगों ने तकरीबन 22 घंटा केवल सड़क पर बर्बाद किया. वहीं बेंगलुरु में शहरवासियों ने 243 घंटा या दिन के हिसाब से देखें को पूरा 10 दिन सड़क पर ट्रैफिक जाम की वजह से बिताया. मुुंबई में यही आंकड़ा आठ दिन का होता है जब लोगों ने सड़क पर वक्त बर्बाद किया.
पिछले साल कौन सा दिन दिल्ली के लिए सबसे मुश्किल था तो इसका जवाब होगा 23 अक्टूबर. क्योंकि इस दिन दिल्ली की सड़कों पर ट्रैफिक की स्थिति सबसे ज्यादा खराब थी. दरअसल, यहां के मंडी हाउस इलाके में लगभग 200 की संख्या में दिव्यांग लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. ये लोग अपने लिये नौकरी की मांग कर रहे थे. इस वजह से इलाके में लंबा ट्रैफिक जाम लग गया.