नयी दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान विवादित बयान देने के मामले में चुनाव आयोग ने गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को तीन दिन और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा को चार दिन तक चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया है.
आयोग द्वारा जारी आदेश में ठाकुर और वर्मा के बयानों से चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन होने के कारण दोनों नेताओं को निर्दिष्ट अवधि के लिए चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित कर दिया है. आदेश के अनुसार, ठाकुर 30 जनवरी को शाम पांच बजे से अगले 72 घंटे तक और वर्मा 96 घंटे तक दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार नहीं कर सकेंगे. इस मामले में ठाकुर पर रिठाला विधानसभा क्षेत्र में 27 जनवरी को एक जनसभा में विवादित नारे लगवाने और पश्चिमी दिल्ली से भाजपा सांसद वर्मा पर एक साक्षात्कार और एक जनसभा में सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करने वाले बयान देने का आरोप है.
इस मामले में दिल्ली के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) की जांच रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने दोनों नेताओं के बयानों को धार्मिक और सामाजिक सौहार्द प्रभावित करने वाला बताते हुए इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया. उल्लेखनीय है कि आयोग ने इस मामले में बुधवार को ठाकुर और वर्मा को भाजपा के स्टार प्रचारक की सूची से बाहर करने का आदेश जारी किया था. आयोग ने दोनों नेताओं को प्रथम दृष्टया दिल्ली चुनाव में सामाजिक टकराव फैलाने वाले विवादित बयान देने के कारण भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से अलग करने का आदेश दिया था.
निर्वाचन नियमों के मुताबिक स्टार प्रचारक के प्रचार अभियान का खर्च संबद्ध पार्टी के चुनावी खर्च में शामिल होता है. इससे इतर अन्य नेताओं के प्रचार का खर्च प्रत्याशी के चुनावी खर्च में जोड़ा जाता है. नियमानुसार पार्टी के चुनाव खर्च की कोई निर्धारित सीमा नहीं है, जबकि दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी की चुनाव खर्च की सीमा 28 लाख रुपये निर्धारित है. आयोग ने भड़काऊ बयान देने के मामले में दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज शिकायत पर सीईओ कार्यालय से मिली रिपोर्ट के आधार पर ठाकुर और वर्मा से जवाब तलब किया था. दोनों नेताओं ने अपने जवाब में सुनवाई के लिए उन्हें स्वयं पेश होने की अनुमति मांगते हुए कहा कि उनके बयान का मकसद धार्मिक आधार पर सामाजिक कटुता फैलाना नहीं था. आयोग ने निजी तौर पर पेश होकर पक्ष रखने की मांग को गैरजरूरी बताते हुए ठाकुर के कथित बयान को अवांछित और आपत्तिजनक करार दिया.
वर्मा ने भी अपने जवाब में कहा कि उन्होंने एक साक्षात्कार में शाहीन बाग से जुड़े सवाल के जवाब में उक्त बयान दिया था, जबकि विकासपुरी विधानसभा क्षेत्र में एक चुनावी सभा में दिये गये उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया. आयोग ने उनके बयान को भी आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि इससे विभिन्न वर्गों के बीच कटुता फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. आयोग ने दोनों नेताओं के बयानों की आलोचना करते हुए संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल कर वर्मा को 96 घंटे और ठाकुर को 72 घंटे तक दिल्ली चुनाव के प्रचार में हिस्सा लेने और मीडिया में साक्षात्कार देने से प्रतिबंधित कर दिया. उल्लेखनीय है कि इससे पहले मॉडल टाउन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी कपिल मिश्रा को भी एक विवादित ट्वीट के कारण 25 जनवरी को दो दिन के लिये चुनाव प्रचार करने से प्रतिबंधित किया था.