शिवसेना ने कहा- शरजील जैसे कीड़े को खत्म कर देना चाहिए, अमित शाह के बयान से जतायी सहमति
मुंबई : शिवसेना ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उन विचारों से बृहस्पतिवार को सहमति जतायी जिनमें उन्होंने शरजील इमाम की ओर से दिये गये कथित भड़काऊ बयान को खतरनाक बताया है. इमाम संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोधी है. शिवसेना ने कहा कि इस मामले में राजनीति न करते हुए इस कीड़े को […]
मुंबई : शिवसेना ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उन विचारों से बृहस्पतिवार को सहमति जतायी जिनमें उन्होंने शरजील इमाम की ओर से दिये गये कथित भड़काऊ बयान को खतरनाक बताया है. इमाम संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोधी है.
शिवसेना ने कहा कि इस मामले में राजनीति न करते हुए इस कीड़े को खत्म करना चाहिए. इमाम को दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ में भड़काऊ बयान देने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार किया गया था. उसके खिलाफ राजद्रोह सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. भाजपा की पूर्व सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा, हम केंद्रीय गृह मंत्री की टिप्पणी से सहमत हैं कि शरजील इमाम के कथित अलगाववादी शब्द कन्हैया कुमार के शब्दों से ज्यादा खतरनाक हैं. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेता कुमार को विश्वविद्यालय परिसर में अलगाववादी नारों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना ने कांग्रेस और राकांपा से गठबंधन कर लिया है. पार्टी को हिंदुत्व समर्थक दल के तौर पर अपनी विश्वसनीयता को बचाने के लिए अक्सर कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. संपादकीय में कहा गया है, केंद्रीय गृह मंत्रालय को इमाम पर कार्रवाई करने के दौरान राजनीति नहीं करनी चाहिए और इस कीड़े को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए जो हमारे देश को नुकसान पहुंचा रहा है. शिवसेना ने कहा, देश तोड़ने की बात क्यों बढ़ रही है और ऐसा बोलने वालों में पढ़े-लिखे नौजवानों की संख्या ज्यादा क्यों है? ये शोध का विषय है.
शरजील ‘जेएनयू’ से ‘पीएचडी’ कर रहा है और आईआईटी मुंबई का पूर्व छात्र है. ऐसे युवकों के दिमाग में जहर कौन बो रहा है. इस पर प्रकाश डालना होगा. पार्टी ने कहा, महाराष्ट्र के पुणे में एलगार परिषद मामले में गिरफ्तार सभी लोग समाज के नामी-गिरामी विद्वान और विचारक हैं और उन पर भी शरजील इमाम की तरह देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. देश की सामाजिक और धार्मिक एकता लगभग समाप्त हो गयी है. संपादकीय में कहा गया है, मुसलमान और हिंदुओं में कलह बढ़े, इराक, अफगानिस्तान की तरह कभी समाप्त न होनेवाली अराजकता, गृह युद्ध चलता रहे इस प्रकार के प्रयास शुरू हैं. उसे खाद-पानी देने का धंधा ‘राजनीतिक प्रयोगशाला’ में चल रहा है.