गन्‍ना किसानों के भुगतान की जिम्‍मेदारी राज्‍य सरकारों की: पासवान

नयी दिल्ली: केंद्र में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा 9 हजार करोड रुपये से अधिक के बकाये का भुगतान पर राज्‍य सरकार की जिम्‍मेदारी बताते हुए इस मुद्दे से केंद्र को अलग कर लिया. केंद्र ने आज कहा कि देश की संघीय व्यवस्था के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2014 3:50 PM

नयी दिल्ली: केंद्र में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने गन्ना किसानों को चीनी मिलों द्वारा 9 हजार करोड रुपये से अधिक के बकाये का भुगतान पर राज्‍य सरकार की जिम्‍मेदारी बताते हुए इस मुद्दे से केंद्र को अलग कर लिया. केंद्र ने आज कहा कि देश की संघीय व्यवस्था के तहत केंद्र का काम गन्ने का मूल्य निर्धारित करना है और गन्ना किसानों को चीनी मिलों से उनका पैसा दिलवाने का काम राज्य सरकार का है.

लोकसभा में भाजपा के डा.सत्यपाल सिंह और कृष्णा राज द्वारा इस मामले पर प्रस्तुत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, ‘केंद्र का काम अलग है और राज्य सरकार का काम अलग है. हमारा काम दाम तय करना है. किसानों को उनकी राशि का भुगतान कराना राज्य सरकारों का काम है. हमारा एक संघीय ढांचा है और हम उसी के तहत काम कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा कि गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 में यह प्रावधान है कि गन्ने की आपूर्ति के 14 दिनों के भीतर गन्ना मूल्य का भुगतान किया जाए और ऐसा ना हो पाने की स्थिति में 14 दिनों के बाद की विलंबित अवधि के लिए बकाया राशि पर 15 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्याज देय होगा.

पासवान ने कहा कि इस प्रावधान को लागू करने की शक्तियां राज्य सरकारों और संघशासित क्षेत्रों के प्रशासनों को प्रदान की गयी हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार समय समय पर राज्य सरकारों और संघ शासित क्षेत्रों के प्रशासनों को गन्ना किसानों के बकाया का यथा समय भुगतान सुनिश्चित करने और दोषी चीनी मिलों के विरुद्ध कार्रवाई करने की सलाह देती है.

उन्होंने कहा कि इस समस्या के निदान के लिए 14 अगस्त को एक बैठक बुलायी गयी है जिसमें चीनी मिलों के मालिक, किसान संगठनों और सहकारी समितियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि खेती में आने वाली लागत सहित सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है.उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य ‘एमएसपी’ तय किए जाने के बावजूद बाजार में अगर किसानों को उनके उत्पाद का उससे अधिक मूल्य मिलता है तो वे उसे खुले बाजार में बेचने के लिए स्वतंत्र हैं.

इससे पहले, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश करने वाले सत्यपाल सिंह ने कहा कि देश में खासकर कर उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को भुगतान नहीं होने के कारण बहुत ही विस्फोटक और दयनीय स्थिति उत्पन्न हो रही है. उन्होंने कहा कि इसके चलते किसानों के घरों में बडी संख्या में तय शादी ब्याहों को टाल दिया गया है और 27 लाख बच्चों के माता पिता उनके स्कूल की फीस नही दे पाए हैं.

उन्होंने कहा कि गन्ने के मूल्य और उनके भुगतान की नीतियां बना देना अलग बात है लेकिन उन्हें जमीनी हकीकत पर उतारना दूसरी बात है. उन्होंने रोष जताते हुए कहा कि सरकार का काम केवल नीतियां बनाना नहीं है बल्कि उन्हें लागू करना भी होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि बजट तैयार करते समय उद्योगपतियों को बुलाकर उनसे सलाह ली जाती है लेकिन उन्‍होंने इस बात पर सवाल खडा करते हुए कहा कि क्‍या उन किसानों से इस मुद्दे पर सलाह ली गई.

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