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आर्थिक सर्वे के क्या है असली मायने, बजट से एक दिन पहले ही क्यों होता है पेश? जानिए सरल भाषा में
नयी दिल्लीः मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट शनिवार को संसद में पेश किया जाएगा. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्णकालिक बजट होगा. इससे पहले आज आर्थिक सर्वे देश का सामने लाया जाएगा. इस आर्थिक सर्वे को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सदन के पटल पर रखेंगी. बीते कुछ महीनों में देश […]
नयी दिल्लीः मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट शनिवार को संसद में पेश किया जाएगा. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह पहला पूर्णकालिक बजट होगा. इससे पहले आज आर्थिक सर्वे देश का सामने लाया जाएगा. इस आर्थिक सर्वे को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण सदन के पटल पर रखेंगी. बीते कुछ महीनों में देश के आर्थिक हालात को देखते हुए ये सर्वे काफी अहम माना जा रहा है.
ऐसे में लोगों के दिमाग में ये सवाल उठता है कि आर्थिक सर्वेक्षण क्या है और बजट से एक दिन पहले ही इसे क्यों पेश किया जाता है.. आइए जानते हैं सरल भाषा में…..
क्या होता है आर्थिक सर्वे?
आर्थिक सर्वे आम बजट से ठीक एक दिन पहले जारी होता है. आर्थिक सर्वे देश के आर्थिक विकास का सालाना लेखाजोखा होता है. आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं. एक तरह से यह वित्त मंत्रालय का काफी अहम दस्तावेज होता है. आर्थिक सर्वे अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं को समेटते हुए विस्तृत सांख्यिकी आंकड़े प्रदान करता है. भारतीय अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर देखनी है तो आर्थिक सर्वे में यह आपको मिल सकती है.
आर्थिक सर्वे के जरिए देश की आर्थिक सेहत की तस्वीर साफ होती है, इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कितनी कामयाबी मिली है. इसके जरिये सरकार ये बताने की कोशिश करती है कि उसने आम लोगों के हित में जो योजनाएं शुरू की हैं. उसका प्रदर्शन कैसा है और अर्थव्यवस्था के लिए भविष्य में कितनी बेहतर संभावनाएं हैं.
वर्ष 2015 के बाद आर्थिक सर्वे को दो हिस्सों मे बांटा गया. एक भाग में अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में बताया जाता है, जो आम बजट से पहले जारी किया जाता है, दूसरे भाग में प्रमुख आंकड़े और डेटा होते हैं, जो जुलाई या अगस्त मे पेश किया जाता है.
आर्थिक सर्वे कैसे होता है तैयार?
आर्थिक सर्वे को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार और उनकी टीम तैयार करती है. इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकर कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम हैं. ऐसे में जाहिर सी बात है कि उनकी अगुवाई में आर्थिक सर्वे रिपोर्ट तैयार की गयी है. वित्त मंत्रालय के इस अहम दस्तावेज को सदन में वित्तमंत्री द्वारा पेश किया जाता है.
बीते साल चार जुलाई को निर्मला सीतारमण ने अपना पहला आर्थिक सर्वे पेश किया था. इसके बाद पांच जुलाई को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला आम बजट पेश किया गया. यहां बता दें कि देश में पहली बार आर्थिक सर्वे 1950-51 में जारी किया गया था और वित्त मंत्रालय की वेबसाइट पर 1957-58 से आगे के दस्तावेज भी मौजूद हैं.
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