नयी दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में बजट पेश करेंगी जिसपर पूरे देश की निगाह टिकी हुई है. जनता को बजट से काफी उम्मीद है, खासकर मिडिल क्लास के लोग वित्त मंत्री पर टकटकी लगाए बैठे हैं. महंगाई और अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से आमदनी ठहरने का सबसे ज्यादा असर यदि किसी पर पड़ा हैं तो वह है मिडिल क्लास.
उद्योग के लिए सरकार पहले ही घोषणाएं कर चुकी है. यही वजह है कि देश का मिडिल क्लास उम्मीद लगाए है कि अब राहत पाने की उनकी बारी है. मिडिल क्लास को इस बात की उम्मीद है कि बजट से इनकम टैक्स में राहत मिलेगी जो उनकी पुरानी मांग है.
सीनियर सिटिजंस और अफॉर्डेबल मकानों का सपना देखने वाली देश की जनता बजट को लेकर और भी ज्यादा उत्सुक है. एक नजर मिडिल क्लास की उन मांगों पर डालते हैं जिसपर वे उम्मीद कर रहे हैं…
1. मिडिल क्लास की सबसे बड़ी मांग व्यक्तिगत आयकर में कटौती की है. अब देखना है कि वित्त मंत्री के पिटारे से मिडिल क्लास की यह मांग पूरी होगी या फिर उन्हें निराशा हाथ लगेगी.
2. मिडिल क्लास को राहत देने के लिए सरकार होम लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट की सीमा बढ़ा सकती है. फिलहाल की बात करें तो इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर 2 लाख रुपये की छूट दी जा रही है. ऐसी उम्मीद है कि सरकार इस रकम में बढ़ोतरी करेगी और इसे बढ़ाकर 3.5 लाख तक कर सकती है.
3. नौकरीपेशा लोगों की बात करें तो उनके लिए टैक्स से राहत पाने का सबसे बड़ा हथियार आयकर अधिनियम का सेक्शन 80सी है. फिलहाल 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक छूट दी जाती है. बजट से उम्मीद है कि इसमें सेक्शन 80सी के तहत सेविंग्स के लिए 2.50 लाख रुपये तक के टैक्स एग्जेम्पशंस की इजाजत सरकार यदि देती है तो यह मिडिल क्लास के लिए बड़ा तोहफा होगा. मिडिल क्लास को इसकी उम्मीद भी है.
4. मिडिल क्लास बचत पर पूरा ध्यान केंद्रीत करता है. इसके लिए मिडिल क्लास बैंक बचत खाते में निवेश के बजाय इक्विटी और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों में इन्वेस्टमेंट का सहारा ले रहा है. ऐसे में इन्वेस्टमेंट को ध्यान देते हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) को लेकर सरकार यदि बड़ी घोषण करती है तो इस वर्ग में आने वाले लोगों को काफी राहत मिलेगी.
5. भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी इकॉनमी मुख्यतौर पर कृषि आधारित है. 2019 के अंत में असमय बारिश, उत्पादन का कम दाम आदि के कारण ग्रामीण आय पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिला. सरकार इस ध्यान दे सकती है और ग्रामीण खपत बढ़ाने के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), इन्सेंटिव और सब्सिडी की घोषणा कर सकती है. इसका कारण यह है कि सरकार चाहेगी बाजार में मांग लौटे.