बता दें कि पहले जनवरी 2020 के पहले सप्ताह में दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों के लिए डेंथ वारंट जारी किया था. इसके मुताबिक दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दिया जाना था. नियम के मुताबिक इसके पहले उन्हें 14 दिनों की मोहलत दी गयी थी ताकि वे फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन या राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर सकें. दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया भी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें सुनवाई करने लायक कोई नया तथ्य नहीं है.
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निर्भया मामला : राष्ट्रपति ने दोषी विनय शर्मा की दया याचिका खारिज की
नयी दिल्ली: निर्भया मामले में दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज खारिज कर दी. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. विनय शर्मा के वकील ने बताया था कि उनके मुवक्किल ने बुधवार को राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी. अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति […]
नयी दिल्ली: निर्भया मामले में दोषी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज खारिज कर दी. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. विनय शर्मा के वकील ने बताया था कि उनके मुवक्किल ने बुधवार को राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी. अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ने यह दया याचिका खारिज कर दी है.
गौरतलब है कि आज निर्भया के चारों दोषियों को फांसी होना था, लेकिन कल कोर्ट ने विनय शर्मा की दया याचिका लंबित रहने की वजह से फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था. अब अदालत नए सिरे से दोषियों के लिए फांसी की तारीख मुकर्रर करेगी. हालांकि अभी विनय शर्मा राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका को खारिज करने के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे सकता है.
दूसरी बार टली निर्भया के दोषियों की फांसी
बता दें कि पहले जनवरी 2020 के पहले सप्ताह में दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों के लिए डेंथ वारंट जारी किया था. इसके मुताबिक दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दिया जाना था. नियम के मुताबिक इसके पहले उन्हें 14 दिनों की मोहलत दी गयी थी ताकि वे फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन या राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर सकें. दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया भी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें सुनवाई करने लायक कोई नया तथ्य नहीं है.
बता दें कि पहले जनवरी 2020 के पहले सप्ताह में दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों के लिए डेंथ वारंट जारी किया था. इसके मुताबिक दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दिया जाना था. नियम के मुताबिक इसके पहले उन्हें 14 दिनों की मोहलत दी गयी थी ताकि वे फैसले के खिलाफ क्यूरेटिव पिटीशन या राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल कर सकें. दोषियों ने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल किया भी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इसमें सुनवाई करने लायक कोई नया तथ्य नहीं है.
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