UnionBudget2020: दशक के पहले आम बजट में शिक्षा और युवाओं को क्या मिला, यहां जानिए
नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट पेश किया. आर्थिक मंदी के बीच बेरोजगारी और शैक्षणिक संस्थानों में फीस बढ़ोतरी से उपजे गतिरोध के बीच सबको इस बात का इंतजार था कि दशक के पहले बजट में शिक्षा के लिए क्या होगा. लंबे समय से भारत में ये चर्चा रही है कि […]
नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आम बजट पेश किया. आर्थिक मंदी के बीच बेरोजगारी और शैक्षणिक संस्थानों में फीस बढ़ोतरी से उपजे गतिरोध के बीच सबको इस बात का इंतजार था कि दशक के पहले बजट में शिक्षा के लिए क्या होगा. लंबे समय से भारत में ये चर्चा रही है कि यहां स्किल आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जाती. यही वजह है कि युवा प्रतिस्पर्धी बाजार में परंपरागत शिक्षा हासिल करने की वजह से पिछड़ जाते हैं.
कंपनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के बढ़ते दखल की वजह से वैसे भी नौकरियां कम हुईं क्योंकि युवाओं में आवश्यक दक्षता नहीं थी. इसलिए केंद्र सरकार ने यूनियन बजट 2020-21 में स्किल आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर खासा जोर दिया है. वित्त मंत्री ने भी कहा कि जल्द ही देश में नई शिक्षा नीति लाई जाएगी.
शिक्षा को लेकर निर्मला सीतारमण की घोषणाएं
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट भाषण पढ़ते हुए घोषणा की, कि इस वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार शिक्षा के लिए 99 हजार 300 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च करेगी. इसमें आधारभूत संरचना के विकास तथा स्किल आधारित शिक्षा में खासा जोर दिया है. शिक्षा के क्षेत्र में वित्तमंत्री की महत्वपूर्ण घोषणाएं निम्नलिखित हैं.
गरीब विद्यार्थियों को ऑनलाइन एजुकेशन- हमेशा से ये शिकायत रही है कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए बड़े शहरों के विश्वविद्यालयों या निजी संस्थानों में बढ़िया शिक्षा हासिल कर पाना संभव नहीं हो पाता है. इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाते हुए वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि गरीब विद्यार्थियों के लिए सरकार की तरफ से ऑनलाइन एजुकेशन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी. इसमें ऑनलाइन कोर्स की सुविधा मिलेगी साथ ही साथ विद्यार्थियों को संबंधित ट्रेड में डिग्रियां भी प्रदान की जाएंगी.
स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम की घोषणा- ये माना जाता है कि एजुकेशन टूरिज्म भी किसी देश की अर्थव्यवस्था में हमेशा सकारात्मक योगदान देती है. इसमें विदेशी विद्यार्थी भारत में आकर यहां के विश्वविद्यालयों के प्रतिष्ठित कोर्सेज में एडमिशन लेंगे. इससे विदेशी मुद्रा के रूप में आर्थिक फायदा तो मिलेगा ही, साथ ही वैश्विक स्तर की प्रतिस्पर्धा का भी सृजन होगा. इसलिए, विदेशी छात्रों को अधिक से अधिक संख्या में भारत में अध्ययन के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से सरकार स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम की शुरूआत करने जा रही है.
साल 2021 तक नए डिप्लोमा संस्थान- विभिन्न सरकारी तथा निजी औद्योगिक ईकाइयों, अस्पतालों, गैर सरकारी संगठनों, विमानन कंपनियों तथा विनिर्माण कंपनियों को कुशल युवा मानव संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से विभिन्न ट्रेड्स में डिप्लोमा की पढ़ाई के लिए साल 2021 तक नए संस्थानों की स्थापना की जाएगी. इससे लाखों की संख्या में युवा जनसंख्या को प्रशिक्षण और नौकरी मिलेगी.
इंजीनियरिंग छात्रों को इंटर्नशिप की सुविधा- बड़ी संख्या में शहरी तथा ग्रामीण युवाओं के बीच इंजीनियरिंग का क्रेज होता है. बड़ी संख्या में प्रत्येक साल लाखों युवा सरकारी और निजी संस्थानों का रुख करते हैं. इन्हीं युवाओं को केंद्र सरकार इंटर्नशिप की सुविधा उपलब्ध करवाएगी. इस बात की भी घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में की.
स्किल इंडिया कार्यक्रम को 3000 करोड़- जब 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनी थी तो लाल किले की प्राचीर से देश के नाम अपने पहले संबोधन में प्रधानमंत्री ने युवाओं को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने तथा स्टार्टअप के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की घोषणा की थी.
इसका उद्देश्य युवाओं को रोजगार शुरू करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण उपलब्ध करवाना और फिर इसके लिए ऋण उपलब्ध करवाना था. इसी स्किल इंडिया कार्यक्रम के लिए वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 3 हजार करोड़ रुपये की राशि जारी करने की घोषणा की है.
शिक्षा में एफडीआई को मिलेगा बढ़ावा- वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में ये भी कहा कि सरकार जल्द ही शिक्षा में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई को बढ़ावा देने जा रही है. इससे विश्वस्तरीय शोध, अनुसंधान और कौशल आधारित शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना सुनिश्चित हो सकेगी.
पीपीपी मॉडल से नए मेडिकल कॉलेज- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये भी कहा कि देश भर में पीपीपी यानी प्राइवेट-पब्लिक-पार्टनरशिप के फॉर्मूले पर आधारित नए मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे.