नयी दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों में एक अक्षय कुमार सिंह की दया याचिका खारिज कर दी है. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी.
सिंह ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की थी. एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति ने सिंह की दया याचिका खारिज कर दी. राष्ट्रपति कोविंद मामले में दो अन्य आरोपियों मुकेश सिंह और विनय कुमार शर्मा की दया याचिका पहले ही खारिज कर चुके हैं.
पैरामेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा ‘निर्भया’ से 16 दिसम्बर 2012 की रात दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार और बर्बरता की गई थी. घटना के एक पखवाड़े बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी. छह लोगों — मुकेश, विनय, अक्षय, पवन गुप्ता, राम सिंह और एक किशोर, को इसमें आरोपी बनाया गया.
पांच वयस्कों के खिलाफ मुकदमा मार्च 2013 में एक विशेष फास्ट ट्रैक अदालत में शुरू हुआ. किशोर ने महिला के साथ ज्यादा बर्बरता की थी और उसे तीन वर्षों तक सुधार गृह में रखा गया था. 2015 में जब वह रिहा हुआ तो उसकी उम्र 20 वर्ष थी और उसे अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया क्योंकि उसकी जान को खतरा था.
मुख्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को दोषी ठहराया गया और सितम्बर 2013 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. दिल्ली की एक अदालत ने सात जनवरी को उनके मृत्यु वारंट जारी करते हुए 22 जनवरी को फांसी पर लटकाने का आदेश दिया था.
बहरहाल, दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि दोषियों को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता है क्योंकि मुकेश ने दया याचिका दायर की है. मुकेश की याचिका खारिज होने के बाद दिल्ली की एक अदालत ने चारों को एक फरवरी को फांसी पर लटकाने के लिए मृत्यु वारंट जारी किया. स्थानीय अदालत ने दूसरी बार एक फरवरी को फांसी पर अमल को भी अगले आदेश तक स्थगित कर दिया.
दोषियों को फांसी पर लटकाने के खिलाफ निर्भया की मां ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि वह अपनी लड़ाई तब तक जारी रखेंगी जब तक कि दोषियों को फांसी नहीं दे दी जाती है.