Shaheen Bagh Protest: नवजात की मौत पर SC ने कहा- क्या 4 महीने का बच्चा विरोध प्रदर्शनों में भाग ले सकता है

Shaheen Bagh Protest:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली के शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोग सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध कर दूसरों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने शाहीनबाग से इन प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दायर याचिकाओं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2020 9:50 AM

Shaheen Bagh Protest:सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली के शाहीनबाग में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे लोग सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध कर दूसरों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकते. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने शाहीनबाग से इन प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दायर याचिकाओं पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केंद्र, दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किये.

प्रदर्शन स्थल पर चार महीने के बच्चे की मौत के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्य सरकार और केंद्र सरकार को नेटिस जारी किया.कोर्ट ने नवजात बच्चे की मौत पर कहा कि क्या चार महीने का बच्चा इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में भाग ले सकता है.

पीठ ने कहा कि एक कानून है और इसके खिलाफ लोग हैं. मामला कोर्ट में लंबित है. इसके बावजूद कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. वे विरोध करने के हकदार हैं. कोर्ट ने कहा कि आप सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध नहीं कर सकते. इस तरह के क्षेत्र में अनिश्चितकाल के लिए विरोध प्रदर्शन नहीं हो सकता. यदि आप विरोध करना चाहते हैं, तो ऐसा एक निर्धारित स्थान पर होना चाहिए.

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि शाहीनबाग में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन चल रहा है लेकिन यह दूसरे लोगों के लिए असुविधा पैदा नहीं कर सकता. पीठ ने कहा कि वह दूसरे पक्ष को सुने बगैर इस मामले में कोई निर्देश नहीं देगी. पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को 17 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता अमित साहनी ने कहा कि यह प्रकरण विरोध के अधिकार की सीमा के बारे में है. पीठ ने जानना चाहा, ‘‘क्या सरकार की ओर से कोई मौजूद है. हम इसमें नोटिस जारी करेंगे.’

मामले में एक अन्य याचिकाकर्ता एवं भाजपा के पूर्व विधायक नंद किशोर गर्ग के अधिवक्ता शशांक देव सुधि ने पीठ से इस मामले में अंतरिम निर्देश देने का अनुरोध किया. पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा एकपक्षीय नहीं हो सकता.’ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने पीठ से कहा कि वह भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद की ओर से इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं.

पीठ ने कहा, ‘‘ आप जो उचित समझें, करें.’ सुनवाई के अंतिम क्षणों में जब सुधि ने इस मामले में कुछ निर्देश देने की मांग पर जोर देते हुए कहा कि सार्वजनिक सड़कों पर अवरोध की वजह से जनता को असुविधा हो रही है तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यदि आपने 50 से ज्यादा दिन इंतजार किया है तो कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए.’

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