सदन से अनुपस्थित रहने पर सचिन की सफाई, भाई की सर्जरी के कारण नहीं आ सका

नयी दिल्ली: राज्य सभा से अनुपस्थिति के कारण आलोचना का सामना कर रहे सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को कहा कि चिकित्सा कारणों से वह दिल्ली में नहीं थे और वह किसी संस्थान का अपमान नहीं करना चाहते.संसद से अनुपस्थिति पर हो रही आलोचना के संदर्भ में तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरे परिवार को चिकित्सा संबंधी आपात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2014 8:59 PM

नयी दिल्ली: राज्य सभा से अनुपस्थिति के कारण आलोचना का सामना कर रहे सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को कहा कि चिकित्सा कारणों से वह दिल्ली में नहीं थे और वह किसी संस्थान का अपमान नहीं करना चाहते.संसद से अनुपस्थिति पर हो रही आलोचना के संदर्भ में तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरे परिवार को चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति थी. आपको बता दूं कि मेरे बडे भाई अजित की बाईपास सर्जरी हुई थी और मुझे उनके पास रहना था.’’

राज्य सभा से लंबे समय तक गैरमौजूदगी का मुद्दा सदन में सदस्यों द्वारा उठाए जाने के घंटों बाद तेंदुलकर ने कहा, ‘‘दिल्ली से मेरी अनुपस्थिति पर काफी अधिक चर्चा हुई. मैं किसी संस्थान का अपमान नहीं करना चाहता.’’ संसद से कुछ दूरी पर स्थित विज्ञान भवन में एक खेल कार्यक्रम में तेंदुलकर ने कहा कि जब वह इंग्लैंड से लौटे तो वह दिल्ली में रहना चाहते थे.

इस दिग्गज क्रिकेटर ने कहा, ‘‘वे आपसे संबंधित हर चीज के बारे में मीडिया में बात कर रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि आपको अपने काम पर ध्यान देना चाहिए और किसी अन्य चीज पर नहीं.’’ तेंदुलकर खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित समारोह में राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेताओं को संबोधित कर रहे थे.

इस दिग्गज बल्लेबाज ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली में मौजूद रहकर खुश महसूस कर रहा हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिता ने एक बार मुझे कहा था कि कई लोग आपको पीछे खींचने की कोशिश करेंगे लेकिन जब तक आप सही दिशा में चलते रहोगे तो एक समय बाद आप उन्हें पीछे छोड दोगे. वे भी हाथ जोडकर आपकी सराहना करेंगे.’’

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘एक खिलाडी के रुप में आपके प्रदर्शन का आकलन और आलोचना होती है. लेकिन बाहरी लोग इसका आकलन नही कर सकते कि अपना शत प्रतिशत देने के बाद आपको कितनी संतुष्टि होती है. अगर आप अपना शत प्रतिशत देते हैं और फिर भी विरोधी टीम जीत जाती है तो आपको इसके लिए बुरा महसूस नहीं करना चाहिए. ’’ तेंदुलकर और खेल मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में पुरस्कार दिये.

इस कार्यक्रम को कवर करने के लिये गये मीडियाकर्मी तेंदुलकर को मंच पर देखकर हैरान रह गये क्योंकि निमंत्रण पत्र में उनकी मौजूदगी का किसी तरह का जिक्र नहीं किया गया था.अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक पूरा करने वाला यह बल्लेबाज काली एवं सफेद चेक शर्ट और काली पैंट पहनकर आया था. पुरस्कृत होने वाले खिलाडियों में मुक्केबाज विजेंदर सिंह, निशानेबाज गगन नारंग और जीतू राय तथा बैडमिंटन खिलाडी पी कश्यप और पी वी सिंधु आदि भी शामिल थे. तेंदुलकर और सोनोवाल के अलावा गृह राज्यमंत्री कीरेन रिजिजु, भाजपा नेता और खेल प्रशासक अनुराग ठाकुर, खेल सचिव अजित शरण और और साई महानिदेशक जिजि थामसन भी मंच पर उपस्थित थे.

स्वर्ण पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिद्रा और चक्का फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले विकास गौडा समारोह में उपस्थित नहीं थे. भारत राष्ट्रमंडल खेलों में 15 स्वर्ण सहित 64 पदक जीतकर पांचवें स्थान पर रहा था.इससे पहले दिन में राज्यसभा में तेंदुलकर और बालीवुड स्टार रेखा जैसे मनोनीत सदस्यों के सदन से अनुपस्थित रहने का मुद्दा उठा. माकपा के पी राजीव ने यह मसला उठाया और जानना चाहा कि क्या कि उन्होंने इसके लिये अनुमति ली है.

राज्यसभा के उप सभापति पी जे कुरियन ने जवाब में कहा कि तेंदुलकर ने सदन की पिछली 40 बैठकों में भाग नहीं लिया लेकिन नियम के तहत 60 बैठकों में अनुपस्थित रहने वाले सदस्य के खिलाफ ही कार्रवाई होती है.

कुरियन ने कहा कि पहले भी यह मामला उठाया गया था. उन्होंने इस बारे में जो जानकारी एकत्र की है उसके अनुसार, क्रिकेटर तेंदुलकर अप्रैल 2012 में इस सदन में मनोनीत किए गए थे. उन्होंने अभी तक मात्र 3 बैठकों में हिस्सा लिया है. उन्होंने कहा कि तेंदुलकर ने अंतिम बार 13 दिसंबर 2013 को उच्च सदन की बैठक में भाग लिया था.

उप सभापति ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 104 के तहत यदि कोई सदस्य बिना अनुमति के 60 बैठकों तक सदन में नहीं आता है तो उसकी सीट को रिक्त मान लिया जाता है.उन्होंने कहा कि तेंदुलकर अभी केवल 40 बैठकों में नहीं आए हैं जबकि रेखा के मामलों में तो यह संख्या और भी कम है लिहाजा इन दोनों पर उक्त नियम लागू नहीं होता.

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