22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

संसद ने संविधान अनुसूचित जनजातियां आदेश संशोधन विधेयक 2019 पर लगायी मुहर

नयी दिल्ली : संसद ने मंगलवार को संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें कर्नाटक सरकार की सिफारिशों के आधार पर राज्य के कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने की बात कही गयी है. इस विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी पहले ही मिल गयी थी […]

नयी दिल्ली : संसद ने मंगलवार को संविधान (अनुसूचित जनजातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी, जिसमें कर्नाटक सरकार की सिफारिशों के आधार पर राज्य के कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने की बात कही गयी है. इस विधेयक को राज्यसभा की मंजूरी पहले ही मिल गयी थी और मंगलवार को लोकसभा ने इस पर मुहर लगा दी.

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह कर्नाटक के कुछ समुदायों को जनजाति समुदाय में शामिल करने के लिए लाया गया है, जो नामों के पर्यायवाची के अभाव में लाभों से वंचित थे. उन्होंने कहा कि ऐसे कुछ मामले संबंधित प्रदेशों से केंद्र के पास आते रहे हैं और सरकार इनके संबंध में आंकड़े एकत्रित कर वर्षों से वंचित लोगों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल कराने की दिशा में काम कर रही है. आगे भी इस संबंध में राज्यों की सिफारिशों पर संज्ञान लिया जायेगा.

मुंडा ने कहा कि सरकार संवेदनशीलता के साथ आदिवासियों को चिह्नित कर उनके संकटों का समाधान कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले वंचित लोगों की आवाज उठाने के लिए काम कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वंचित वर्ग के जो लोग संवैधानिक प्रावधान होने के बावजूद वंचित हैं, उन्हें मुख्यधारा में लाने को मोदी सरकार प्रयासरत है.

मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दी. विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सदस्य के सुरेश ने कहा कि यह विधेयक कर्नाटक के कुछ समुदायों को अजजा श्रेणी में शामिल करने के लिए लाया गया है, लेकिन सरकार को अन्य राज्यों पर भी ध्यान देना होगा. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए बजट में आवंटन और उन्हें मिलने वाला आरक्षण भी बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को ध्यान देना होगा.

सुरेश ने अपने गृह राज्य केरल में भी एक समुदाय को अनुसूचित जाति से अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की जनजातीय कार्य मंत्रालय में लंबित मांग पर भी सरकार से ध्यान देने की मांग की. भाजपा के प्रताप सिन्हा ने कहा कि कर्नाटक के लोग उत्सुकता से इस विधेयक को पारित होता देखने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो 36 साल से लंबित है. उन्होंने कर्नाटक के नायक समुदाय को अजजा की श्रेणी में शामिल करने में देरी के लिए पिछली सरकारों को जिम्मेदार ठहराया. सिन्हा ने कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार और केंद्र सरकार को इसका श्रेय दिया.

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इस तरह के समावेश की प्रक्रिया को सरल किया जाना चाहिए. उन्होंने आदिवासियों के अधिकार और जमीन छीनने के विषय को भी उठाया. शिवसेना के अरविंद सावंत ने कहा कि सरकार को अलग-अलग राज्यों के लिए विधेयक लाने की बजाय सभी राज्यों में इस तरह की समस्या को सुलझाने के लिए समग्र विधेयक लाना चाहिए. उन्होंने महाराष्ट्र में धनगर समुदाय को भी अजजा में शामिल करने की वर्षों से लंबित पड़ी मांग को पूरा करने का आग्रह किया. महाराष्ट्र सीमा से लगे कर्नाटक के बेलगावी क्षेत्र का जिक्र करते हुए सावंत ने कहा कि वहां मराठियों पर अत्याचार हो रहे हैं.

इस पर केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और यहां कैसे उठाया जा सकता है. इस पर कर्नाटक के भाजपा सदस्य भी विरोध जताने लगे. पीठासीन सभापति के सुरेश ने कहा कि अगर मामला अदालत में लंबित है, तो सदस्य को इसका उल्लेख करने से बचना चाहिए.

कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और झारखंड के आदिवासी कुर्मी समुदाय को जनजाति के रूप में शामिल करने की मांग की. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के एन रेडप्पा ने कहा कि इस विधेयक से कर्नाटक को राहत मिलेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें