नयी दिल्ली : दिल्ली के मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस से मोहभंग हो गया है. राष्ट्रीय राजधानी में संपन्न हुए 2020 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का कोई मुस्लिम उम्मीदवार जीतकर विधानसभा नहीं पहुंच पाया. कांग्रेस के 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी. वहीं, पार्टी के मुस्लिम प्रत्याशियों को सबसे कम वोट मिले.
आम आदमी पार्टी (AAP) के पांच मुस्लिम उम्मीदवार जीते. कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही. आम आदमी पार्टी का जादू दिल्ली में सभी वर्गों के सिर चढ़कर बोला. पार्टी के सभी 5 मुस्लिम उम्मीदवार इस बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. AAP ने मटिया महल, सीलमपुर, ओखला, बल्लीमारान और मुस्तफाबाद से मुस्लिम समाज के प्रत्याशियों पर भरोसा जताया था.
कांग्रेस ने भी इन पांचों सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सबकी जमानत जब्त हो गयी. बल्लीमारान में AAP के इमरान हुसैन को 65,644 मत मिले. आम आदमी पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवारों को मिला यह न्यूनतम मत है. कांग्रेस के सभी उम्मीदवारों को मिलाकर भी उतना वोट नहीं मिला, जितना इमरान हुसैन को मिला.
सीलमपुर के कांग्रेस उम्मीदवार मतीन अहमद को मात्र 20,247 वोट मिले. कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों को मिला यह सर्वाधिक मत है. मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में अली मेहंदी को 5,355, ओखला के परवेज हाशमी को 3,235, मटियामहल में मिर्जा अली जावेद को 3,409 और बल्लीमारान में कांग्रेस के बड़े नेता रहे हारुन यूसुफ को मात्र 4,802 वोट हासिल हुए.
इन सभी 5 सीटों पर आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. अरविंद केजरीवाल की पार्टी के मुस्लिम नेताओं को न्यूनतम 65,644 और अधिकतम 1,30,367 वोट मिले. ओखला के आप प्रत्याशी अमानतुल्लाह खान को सबसे ज्यादा 1,30,367 वोट मिले. मुस्तफाबाद में हाजी यूनुस को 98,850, मटियामहल में शोएब इकबाल को 67,282 और बल्लीमारान में इमरान हुसैन को 65,644 वोट मिले.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि वर्ष 2013 तक जब शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं, इन मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा हुआ करता था. इस बार कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों की दुर्गति ने बता दिया है कि मुसलमान वोटर अब कांग्रेस के ‘हाथ’ के साथ नहीं, पूरी तरह आम आदमी पार्टी के ‘झाड़ू’ के साथ है.