नयी दिल्ली : हाल ही में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनावों में 43,000 से अधिक वोट ‘उपरोक्त में से कोई नहीं’ यानी नोटा (NOTA, None Of The Above) श्रेणी के खाते में गये.
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए आठ फरवरी को मतदान हुआ और मतगणना मंगलवार को हुई. इन चुनावों में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच माना जा रहा था.
चुनाव मैदान में कुल 672 उम्मीदवार थे जिनमें से 79 महिलाएं थीं. मतदान का प्रतिशत 62.59 था, जो 2015 के मतदान प्रतिशत से पांच फीसदी कम था.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों के अनुसार, नोटा श्रेणी में 43,108 मत पड़े जो डाले गए कुल मतों का 0.5 फीसदी है.
आयोग के आंकड़ों के अनुसार, आम आदमी पार्टी ने 2015 का अपना प्रदर्शन करीब करीब दोहराया है और 62 सीटों पर जीत हासिल की है. उसका वोट प्रतिशत 53.57 रहा जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत 38.51 रहा और उसे आठ सीटें मिलीं.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लगातार दूसरी बार खाता नहीं खोल सकी. 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में नोटा को कुल वोटों के 0.4 फीसद वोट मिले थे. तब आप ने 67 सीटें जीती थीं.
सितंबर 2013 में उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गए एक आदेश के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में वोटिंग पैनल पर अंतिम विकल्प के तौर पर नोटा का बटन शामिल किया था.