Loading election data...

दिल्ली चुनाव में हार के बाद ये है भाजपा के लिए बड़ी चुनौती, क्षेत्रीय दलों को साधने की बन रही रणनीति

नयी दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव का शोर नतीजों के साथ थम चुका है. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक बार फिर बड़ी हार हुई है. दिल्ली की सत्ता से 22 साल से बाहर भाजपाको इस बार भी हार का सामना करना पड़ा है. भाजपाकी इस हार के बाद बड़ा सवाल ये है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2020 2:22 PM
नयी दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव का शोर नतीजों के साथ थम चुका है. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक बार फिर बड़ी हार हुई है. दिल्ली की सत्ता से 22 साल से बाहर भाजपाको इस बार भी हार का सामना करना पड़ा है. भाजपाकी इस हार के बाद बड़ा सवाल ये है कि दिल्ली के बाद अब पार्टी के लिए आगे का रास्ता कितना मुश्किल भरा है? झारखंड और दिल्ली में हार के बाद दो बड़े राज्यों (बिहार और झाऱखंड) के चुनाव इंतज़ार कर रहे हैं. दिल्ली की हार से कमज़ोर हुई

भाजपा के सामने विपक्ष की उम्मीदें खिल गयी हैं. हलिया मिली हार के बाद भाजपा अब नये सिरे से रणनीति बनाने में जुट गई है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार को मनोज तिवारी के साथ ही पार्टी महासचिवों के साथ बैठक कर आगे की कार्ययोजना पर बात की है. चर्चा है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अब क्षेत्रीय पार्टियों को साधने की कोशिश में जुट गया है. पार्टी के सूत्रों ने बताया कि दिल्ली चुनाव के परिणाम के बाद ऐसी संभावना बनती दिख रही थी आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल की अगुआई में कुछ क्षेत्रीय दल

भाजपा के खिलाफ लामबंद हो सकते हैं. इसी को देखते हुए ये रणनीति अपनाई गई है. पीएम मोदी ने बुधवार को वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात की. इससे पहले दो मौकों पर वह ऐसा करने से इंकार कर चुके थे.

इस बीच ऐसी भी अटकलें जोरों पर हैं कि बीजेपी आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस और तमिलनाडु में डीएमके जैसी क्षेत्रीय दलों को उसकी अगुआई वाली एनडीए सरकार में शामिल होने का लालच दे रही है.

Next Article

Exit mobile version