नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने दोषियों के खिलाफ मौत का वारंट जारी किये जाने के अनुरोध वाली याचिकाओं पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषियों में से एक विनय कुमार शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति द्वारा खारिज किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई पूरी की.
न्यायालय इस याचिका पर शुक्रवार को अपनी व्यवस्था देगा. विनय शर्मा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उसकी दया याचिका विद्वेषपूर्ण तरीके से खारिज की गयी है. इस दोषी ने अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने का न्यायालय से अनुरोध किया है.
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने विनय शर्मा की याचिका पर करीब दो घंटे तक सुनवाई के बाद कहा कि इस पर शुक्रवार को अपराह्न दो बजे आदेश सुनाया जायेगा. विनय ने अपनी याचिका में दलील दी है कि जेल में ‘कथित यातनाओं और दुर्व्यवहार’ की वजह से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया.
शर्मा के वकील ए पी सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति ने विद्वेषपूर्ण तरीके से उनके मुवक्किल की दया याचिका खारिज की है क्योंकि इस मामले से सबंधित सारा रिकार्ड उनके समक्ष नहीं रखा गया था. उन्होंने कहा कि जेल में विनय को यातनाएं दी गयीं और उसे एकांत कोठरी में रखा गया और जेल में हुये अवसाद की वजह से वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो गया है.
केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सिंह की दलीलों का विरोध किया और कहा कि राष्ट्रपति ने सारे संबंधित रिकार्ड का अवलोकन किया था. उन्होंने कहा कि विनय की दया याचिका खारिज किये जाने में कानून के तहत सारी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है. मेहता ने विनय शर्मा की 12 फरवरी की मेडिकल रिपोर्ट पीठ के समक्ष पेश की और कहा कि उसे पूरी तरह स्वस्थ पाया गया है.
सिंह का आरोप था कि दिल्ली के उपराज्यपाल और गृह मंत्री ने उसकी दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर दस्तखत नहीं किये थे. पीठ ने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश का अवलोकन करने का सिंह का अनुरोध ठुकरा दिया. पीठ ने रिकार्ड का अवलोकन किया और कहा कि उन्होंने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश पर दस्तखत किये हैं.
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किये जाने के बाद विनय ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि जेल में प्राधिकारियों ने उसके मौलिक अधिकारों का हनन किया और उसे गैरकानूनी तरीके से अलग रखा गया. याचिका में कहा गया है कि जेल में मानसिक रूप से अस्वस्थता मृत्यु दंड को उम्र कैद में तब्दील करने का एक आधार है.
निचली अदालत ने 31 जनवरी को अगले आदेश तक के लिये चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार को फांसी देने पर रोक लगा दी थी. ये चारों दोषी इस समय तिहाड़ जेल में बंद हैं. निर्भया से 16-17 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे सड़क पर फेंक दिया था.
निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गयी थी. इन छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी किशोर था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया.