जयराम रमेश ने कांग्रेस में सर्जिकल स्ट्राइक का किया आह्वान, कहा – ‘कोरोना ट्रेजडी” की तरह है दिल्ली में हार

कोच्चि : दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की तुलना ‘कोरोना वायरस की तरह अनवरत त्रासदी’ से करते हुए वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पार्टी को ‘सख्ती से’ अपना पुनरावलोकन करना चाहिए या फिर अप्रासंगिक होने की संभावना का जोखिम झेलना चाहिए. वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश की यह टिप्पणी ऐसे समय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 13, 2020 8:36 PM

कोच्चि : दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की तुलना ‘कोरोना वायरस की तरह अनवरत त्रासदी’ से करते हुए वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा है कि पार्टी को ‘सख्ती से’ अपना पुनरावलोकन करना चाहिए या फिर अप्रासंगिक होने की संभावना का जोखिम झेलना चाहिए. वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश की यह टिप्पणी ऐसे समय आयी है, जब पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी दिल्ली चुनाव में हार के परिप्रेक्ष्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘सर्जिकल कार्रवाई’ का आह्वान किया है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश खुलकर अपने विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं. रमेश (65) ने एक साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस नेताओं को अपना पुनरावलोकन करना होगा. कांग्रेस को यदि प्रासंगिक होना है, तो उसे स्वयं का पुनरावलोकन करना होगा. अन्यथा, हम अप्रासंगिकता की ओर बढ़ रहे हैं. हमें अहंकार छोड़ना होगा. छह साल से सत्ता से दूर होने के बावजूद हममें से कई लोग कई बार ऐसे बर्ताव करते हैं, जैसे हम अब भी मंत्री हैं.

रमेश के अनुसार, स्थानीय नेताओं को प्रोत्साहन देना होगा और आगे बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि स्थानीय नेताओं को स्वतंत्रता और स्वायत्तता दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे नेतृत्व के स्वभाव और शैली को बदलना होगा. वह यहां जारी कृति अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में शामिल होने आये हैं।. दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम के संबंध में रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा ने दिल्ली के शाहीन बाग में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जारी प्रदर्शन का इस्तेमाल मतों के ‘ध्रुवीकरण’ के लिए किया.

उन्होंने कहा भले ही भाजपा नहीं जीती, लेकिन परिणाम कांग्रेस के लिए भी एक त्रासदी है. कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस के लिए यह कोरोना वायरस की तरह एक अनवरत त्रासदी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आयी, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने 62 सीटों के साथ शानदार जीत दर्ज की. वहीं, भाजपा के खाते में आठ सीटें आयी हैं.

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि दिल्ली के चुनाव परिणाम ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह की शैली वाली राजनीति को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि यह (चुनाव परिणाम) उनके मुंह पर करारा तमाचा है और इसने प्रचार अभियान में इस्तेमाल की गयी भाषा तथा तरकीबों को खारिज कर दिया. रमेश ने यह भी कहा कि दरअसल, बिहार में कांग्रेस का अस्तित्व नहीं है, उत्तर प्रदेश में यह लगभग विलुप्त है, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मजबूत है. हरियाणा में उसने वापसी की है.

मोइली ने बुधवार को कहा था कि कांग्रेस का ध्यान अब पार्टी को पुनर्जीवित करने, इसका पुनर्निर्माण और कायाकल्प करने पर होना चाहिए. मोइली ने कहा था, ‘कांग्रेस को पूर्ण कायाकल्प की आवश्यकता है. आप (चुनावी हार के लिए) एक या दो नेताओं पर उंगली नहीं उठा सकते, प्रत्येक कांग्रेसी को जवाबदेही उठानी होनी.’ उन्होंने कहा था, ‘अब पार्टी का पूर्ण कायाकल्प करने का समय है. इसका पुनर्निर्माण करना होगा. ‘सर्जिकल कार्रवाई’ करनी होगी.’

रमेश ने सीएए पर भी बात की और कहा कि यह किसी की नागरिकता नहीं लेता, लेकिन यह किसी को नागरिकता प्रदान करने में चुनिंदा है, जिसके वह विरोधी हैं. अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता पर कांग्रेस का नरम रुख होने के ‘दुष्प्रचार’ से चिंतित रमेश ने कहा कि पार्टी मुद्दे पर ‘चुनिंदा नहीं हो सकती’.

उन्होंने सुझाव दिया कि कांग्रेस को ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) प्रकार की सांप्रदायिकता पर भी निशाना साधना चाहिए. कांग्रेस नेता ने कहा कि जिस तरह आरएसएस प्रकार की सांप्रदायिकता भारत के लिए खतरनाक है, उसी तरह पीएफआई या जमात-ए-इस्लामी की सांप्रदायिकता भी देश के लिए खतरनाक है.

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भी कहा था, ‘हम बहुसंख्यक समुदाय की भावनाओं के प्रति असंवदेनशील दिखाई नहीं दे सकते.’ रमेश ने अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता पर कहा, ‘हमें (कांग्रेस) पूरी तरह स्पष्ट होना होगा. हम किसी की भी धार्मिक भावनाओं के प्रति पक्षपाती व्यवहार नहीं कर सकते और यही वास्तविक पंथनिरपेक्षता है.’

उन्होंने कहा, ‘वास्तविक पंथनिरपेक्षता सभी तरह की सांप्रदायिकता से लड़ना है.’ रमेश ने कहा कि कांग्रेस को सभी तरह की सांप्रदायिकता के खिलाफ खुलकर बोलना होगा. उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से जनता में यह दुष्प्रचार है कि कांग्रेस अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता पर नरम है. यह एक सच्चाई है. हमें मुद्दे का समाधान करना होगा. हमें जागना होगा.’

रमेश ने कहा, ‘कांग्रेस की नीति सभी को समान न्याय की है, लेकिन लोगों को संदेह है कि इस नीति को क्रियान्वित किया जा रहा है या नहीं.’ उन्होंने कहा, ‘यह संदेह अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति पार्टी की नजदीकी की वजह से है और इस तरह की स्थिति केरल में सांप्रदायिक शक्तियों के लिए प्रवेश के द्वार खोलेगी.’ यह दोहराते हुए कि कांग्रेस को आरएसएस प्रकार की सांप्रदायिकता, भाजपा प्रकार की सांप्रदायिकता के साथ ही पीएफआई और जमात-ए-इस्लामी प्रकार की सांप्रदायिकता से भी लड़ना होगा.

रमेश ने कहा, ‘हम चुनिंदा नहीं हो सकते, हमें आगे आना होगा और खुलकर कहना होगा कि अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता भी बहुसंख्यक सांप्रदायिकता की तरह खतरनाक है.’ उन्होंने कहा, ‘यही जवाहर लाल नेहरू ने किया था. उनका रुख सभी तरह की सांप्रदायिकता के खिलाफ था.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘विभिन्न राज्यों में इन जैसे कई संगठन हैं. उन्हें उसी तरह निशाना बनाया जाना चाहिए, जिस तरह हम आरएसएस को निशाना बनाते हैं.’

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