क्या सरदार पटेल को अपनी कैबिनेट में नहीं चाहते थे पंडित नेहरु? जानें क्यों छिड़ा है विवाद…
नयी दिल्ली : भारत के पहले प्रधानंमत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु और उनके कैबिनेट में उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल के रिश्तों पर हमेशा सवालिया निशान लगते रहे हैं. कई बार ऐसा दावा किया गया है कि पंडित नेहरु और उनके बीच संबंध सामान्य नहीं थे. यह मसला एक बार फिर चर्चा […]
नयी दिल्ली : भारत के पहले प्रधानंमत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु और उनके कैबिनेट में उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल के रिश्तों पर हमेशा सवालिया निशान लगते रहे हैं. कई बार ऐसा दावा किया गया है कि पंडित नेहरु और उनके बीच संबंध सामान्य नहीं थे. यह मसला एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि इस बार इस मसले को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर और प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा आमने-सामने हैं.
Released an absorbing biography of VP Menon by @narayani_basu. Sharp contrast between Patel's Menon and Nehru's Menon. Much awaited justice done to a truly historical figure. pic.twitter.com/SrCBMtuEMx
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 12, 2020
जयशंकर के इस ट्वीट पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने ट्वीट किया, ‘यह एक मिथक है, फर्जी खबरों और आधुनिक भारत के निर्माताओं के बीच झूठी दुश्मनी की बात को बढ़ावा देना विदेश मंत्री का काम नहीं है. यह काम बीजेपी के आईटी सेल पर छोड़ देना चाहिए.’ गुहा ने ‘द प्रिंट’ की स्टोरी को ट्वीट किया और लिखा कि 1 अगस्त 1947 को नेहरू ने पटेल से कहा था, ‘आप मंत्रिमंडल के सबसे मजबूत स्तंभ हैं.’ इसके जवाब में पटेल ने लिखा था, ‘आपको मेरी ओर से निर्विवाद निष्ठा और समर्पण मिलेगा.
This is a myth, that has been comprehensively demolished by Professor Srinath Raghavan in The Print.
Besides, promoting fake news about, and false rivalries between, the builders of modern India is not the job of the Foreign Minister. He should leave this to the BJP’s IT Cell. https://t.co/krAVzmaFkL— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) February 13, 2020
यह बहस तब और बढ़ा जब कांग्रेस नेता जयराम नरेश भी इस बहस में कूद गये और कुछ दस्तावेज के साथ अपनी बात रखी. जयराम रमेश ने पंडित नेहरु की वह चिट्ठी शेयर की है, जिसे उन्होंने माउंटबेटन के नाम लिखा है और मंत्रियों की सूची में सरदार पटेल का नाम सबसे ऊपर है.
Problem with this very accomplished and erudite Foreign Minister is that he wishes to forget the books he read before becoming Foreign Secretary in Jan 2015.
Do refresh your memory by reading the following series of letters:https://t.co/lkDYpfaxHu
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 13, 2020