CAA के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना ”गद्दारी या देशद्रोह” नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

मुंबई: सीएए के खिलाफ आंदोलन करने की अनुमति नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशद्रोह के मामलों को लेकर महत्वपूर्ण और तल्ख टिप्पणी की है. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा कि किसी भी नागरिक को केवल इसलिए देशद्रोही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वो किसी सरकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2020 8:55 AM

मुंबई: सीएए के खिलाफ आंदोलन करने की अनुमति नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने देशद्रोह के मामलों को लेकर महत्वपूर्ण और तल्ख टिप्पणी की है. बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने कहा कि किसी भी नागरिक को केवल इसलिए देशद्रोही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वो किसी सरकारी कानून का विरोध करना चाहता है या करता है.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में याचिका दाखिला कर कहा था कि स्थानीय पुलिस उन्हें नागरिकता संसोधन कानून का शांतिपूर्ण विरोध करने की अनुमति नहीं दे रही है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस ऐसा नहीं कर सकती क्योंकि सीएए की वजह से यह सरकार के खिलाफ सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन होगा.

कोर्ट ने इन दो आदेशों को भी रद्द कर दिया

बेंच ने बीड जिले के आडिशनल डिस्ट्रिक मैजिस्ट्रेट और मजलगांव सिटी पुलिस द्वारा दिए गए दो आदेशों को रद्द कर दिया. पुलिस ने विरोध प्रदर्शन की अनुमित देने से इंकार करने के आधार के रूप में एडीएम के आदेश का हवाला दिया था. बेंच ने टिप्पणी की कि, भारत को आजादी उन आंदोलनों के कारण मिली जो अहिंसक थे और अहिंसा का मार्ग आज तक इस देश के लोगों द्वारा अपनाया जाता है. हम भाग्यशाली हैं कि इस देश के अधिकांश लोग अभी भी अहिंसा में विश्वास करते हैं.

सबको शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट का अधिकार

बेंच ने कहा कि इस मामले में भी याचिकाकर्ता और उनके साथी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट करना चाहते हैं. बेंच ने कहा कि ब्रिटिश काल में हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया था इस आंदोलन के पीछे की फिलॉसफी से ही हमने अपना संविधान बनाया. यह कहा जा सकता है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सकते हैं और केवल इस पर उनके आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता.

Next Article

Exit mobile version