म्यूूनिख: जर्मनी के म्यूूनिख में आयोजित सुरक्षा सम्मेलन में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय तथा वैश्विक मसलों पर अपनी राय व्यक्त की. साथ ही उन्होंने यहां जम्मू-कश्मीर के मामले में तुर्की और पाकिस्तान की साझा चिंताओं को भारत के अंदरूनी मामलों में दखल बताया और कहा कि कश्मीर भारत का अहम हिस्सा है. भारतीय विदेश मंत्री ने साथ ही पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा भी उठाया.
दुनिया के अधिकांश देश हैं राष्ट्रवादी
राष्ट्रवाद के मसले पर अपनी राय रखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस बात को लेकर कोई संदेह नहीं है कि इस समय दुनिया ज्यादा राष्ट्रवादी हो गयी है. उन्होंने कहा कि अमेरिका, चीन सहित दुनिया के कई देश अपेक्षाकृत अधिक राष्ट्रवादी हैं. उन्होंने कहा कि, गौर करने लायक बात ये है कि इस राष्ट्रवाद को काफी हद तक वैधानिक मान्यता हासिल है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ये भी कहा कि कुछ देशों में राष्ट्रवाद का स्वरूप ज्यादा मुखर है वहीं कुछ मामलों में राष्ट्रवाद असुरक्षित रूप में अभिव्यक्त हो रहा है. हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जहां राष्ट्रवाद की भावना अधिक है वहां बहुपक्षीय स्वरूप का अभाव है.
#WATCH EAM S Jaishankar replies, "Do not worry Senator. One democracy will settle it & you know which one" to US Senator Lindsey Graham, after the latter said, "When it comes to Kashmir, I do not know how it ends but let us make sure that two democracies will end it differently". pic.twitter.com/kmbIu4baoN
— ANI (@ANI) February 15, 2020
संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर सवाल
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में संंयुक्त राष्ट्र की वैश्विक भूमिका पर भी अपनी बात कही. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र वर्तमान संदर्भ में कम विश्वसनीय रह गया है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता अब वैसी नहीं रह गयी जैसे कि इतिहास में कभी हुआ करती थी. एस जयशंकर ने कहा कि, हालांकि ये तकरीबन 75 साल पुरानी बात है. उन्होंने कहा कि, इस दिशा में कुछ किए जाने की जरूरत है.
कश्मीर की चिंताओं पर भारत का जवाब
म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भारतीय विदेश मंत्री ने कश्मीर को लेकर वैश्विक चिंताओं का समाधान भी किया. एक अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक बात कश्मीर की है इसको लोकतांत्रिक तरीके से ही सुलझाया गया है. इस दौरान उन्होंने तुर्की-पाकिस्तान की संयुक्त घोषणापत्र का भी जवाब दिया. एस जयशंकर ने कहा कि हमारा तुर्की से आग्रह है कि वो कश्मीर के मसले को लेकर हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करे.
उन्होंने कहा कि, तुर्की को पाकिस्तान का समर्थन करने से पहले इस तथ्य का ध्यान में रखना चाहिए कि वो सीमापार आतंकवाद का बढ़ावा दे रहा है. साथ ही एस जयशंकर ने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है.