नयी दिल्ली : पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले केविरोधमें मंडी हाउस से पार्लियामेंट तक मार्च निकाला जा रहा है. इस मार्चकानेतृत्व भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजादकररहे हैं.
Delhi: Bhim Army Chief Chandrashekhar Azad leads 'Aarakshan Bachao' march from Mandi House to Parliament. pic.twitter.com/IY5ePBmDKE
— ANI (@ANI) February 16, 2020
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ सुप्रीम में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर पदोन्नति से आरक्षण हटाने का निर्णय दिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही दलित संगठन देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
मामला कहां से शुरू हुआ
दरअसल उत्तराखंड में टैक्स डिपार्टमेंट में सहायक आयुक्त (असिस्टेंट कमिश्नर) के रूप में तैनात उधमसिंह नगर निवासी ज्ञान चंद ने उत्तरांखड सरकार के एक अधिसूचना के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसमें राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी किया था कि पदोन्नति में आरक्षण नहीं मिलेगा.राज्य सरकार ने इसके लिए अनुच्छेद 16(4) और 16(4-A) का हवाला दिया. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की दलील को ठुकराते हुए पदोन्नति में आरक्षण लागू करने का आदेश दिया, जिसके बाद राज्य सरकार ने 2019 में इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी.
सुप्रीम कोर्ट ने पलटा हाई कोर्ट का फैसला
उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि संविधान के अनुच्छेद 16(4) और 16(4-A) में इस आशय के कोई प्रस्ताव नहीं हैं और आरक्षण किसी का मौलिक अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी 2020 को उत्तरांखड सरकार की इस दलील को मानते हुए कहा कि संविधान के ये दोनों अनुच्छेद सरकार को यह अधिकार देते हैं कि अगर उसे लगे कि एसटी-एसटी समुदाय का सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है तो वह नौकरियों एवं प्रमोशन में आरक्षण देने का कानून बना सकती है. इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने 5 सितंबर, 2012 के उत्तराखंड सरकार के नोटिफिकेशन को वैध बताते हुए हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया।