नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भाजपा की अप्रत्याशित जीत के मैन ऑफ द मैन अमित शाह थे. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव-2014 एक मैच था जिसमें सभी कार्यकर्त्ताओं का योगदान सराहनीय रहा. इस मैच के कप्तान राजनाथ सिंह थे और मैन ऑफ द मैच अमित शाह.
मोदी ने कहा कि अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी नयी उंचाइयों को छुएगी. पार्टी और सरकार एक साथ मिलकर देश को विकास के पथ पर अग्रसार करेंगे. अमित शाह की तारीफ करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अगर अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी और पार्टी के राष्ट्रीय समिति में शामिल नहीं किया जाता तो शायद देशवासियों को उनकी शक्ति का अंदाजा नहीं हो पाता.
नरेन्द्र मोदी ने उम्मीद जतायी कि अमित शाह को पार्टी ने जो दायित्व दिया है वह उसे निभायेंगे और देश और दल के विकास में अहम योगदान देंगे. नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का दिन अमित शाह का दिन है. राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में संगठन और सरकार जनता की आशा और आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयार करेगी. मोदी ने कहा कि अमित शाह के मार्गदर्शन में सरकार विकास के द्वार खोलेगी और कोई कोताही नहीं बरतेगी.
60 दिनों की तुलना 60 वर्षों से
नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोग हमारी सरकार के 60 दिनों के काम पर सवाल उठा रहे हैं. जबकि उनके हाथों में देश का बागडोर 60 वर्षों तक रहा और उन्होंने देश के स्तर को कितना गिरा दिया. उन्होनें कहा कि आने वाले दिनों में देश की जनता के सामने सरकार की इच्छाशक्ति आ जायेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार सभी कार्यकर्त्ताओं के साथ देश के विकास के के लिए प्रतिबद्ध है. मोदी ने कहा कि इन 60 दिनों में हमारी सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये. जिसमें आम लोगों का हित निहित है.
दुनिया में हिन्दुस्तान का डंका बजेगा
मोदी ने कहा कि दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बजेगा. पूर्ण बहुमत पाने से भारत के प्रति दुनिया का नजरिया बदला है. प्रगति के लिए शांति जरुरी है. जो चुनाव में बुरी तरह हार गये, वे सांप्रदायिक तानेबाने को बिगाडने में संलिप्त हैं.
पार्टी की शानदार जीत के बारे में मोदी ने कहा कि इस बार चुनाव परिणामों ने राजनीतिक पंडितों को भी मुश्किल में डाल दिया था. उन्होंने कहा, ‘शुरुआत में ये राजनीतिक पंडित कहा करते थे कि मोदी को गुजरात के बाहर कौन जानता है. घटनाक्रम बहुत तेजी से बदल रहे थे और उन्हें समझना, स्वीकार करना या पहचानना बहुत कठिन काम होता है.’ उन्होंने कहा कि देश की जनता ‘देने के मूड’ में थी.
मोदी ने कहा, ‘आपको ध्यान हो या ना हो, 2013 में हुई पार्टी की राष्ट्रीय परिषद में मुझे जब बोलने का अवसर मिला तो मैंने कहा था ‘हम चलें या न चलें, देश चल पडा है’. सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले को जनता के मूड का एहसास होता है.’ प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनाव घोषित होने के एक हफ्ते बाद उन्होंने कहा था कि पार्टी को 300 सीटें मिलनी चाहिए. तब उनके साथियों ने कहा था कि वह इतनी सीटें क्यों बोल रहे हैं.
मोदी ने कहा, ‘मुझे लगा कि जनता चाहती थी कि कोई मांगने वाला तो आये, वह देखना चाहती थी कि मांगने वाले में क्या दम है. और मैंने मांगा तो उन्होंने दिया. देश की जनता ने चुनाव में बहुत अच्छे ढंग से अपना कर्तव्य निभाया और अब कर्तव्य निभाने की बारी हमारी है.’
उन्होंने कहा कि 60 दिन के बाद उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि वह पार्टी को मिले जनादेश को बहुत भलीभांति पूरा करेंगे. 60 दिनों में इतनी तेजी से चीजें बदलना शुरु हो गयी हैं कि वह खुद हैरान हैं. मोदी ने कहा कि सत्ता में आते ही उनका काफी समय ‘सफाई में गया, कार्य संस्कृति बदलने में गया.’ लोगों को आश्चर्य हो रहा है कि चुनाव में किये गये वायदे सरकार के पहले ही बजट में आ गये.
मोदी ने देशवासियों को विश्वास दिलाया कि वह सरकार की दिशा और दशा सही रखते हुए जनता से किये गये वायदों को पूरा करने में सफल होंगे.
गरीबों की सुरक्षा के लिये WTO में कडा रुख अपनाया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की हाल की बैठक में अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रचार पाने के बजाय देश के गरीब लोगों के हितों की रक्षा के लिये कडा रुख अपनाने का विकल्प चुना.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘डब्ल्यूटीओ के बारे में भ्रम फैलाने का प्रयास किया गया. हम अपने किसानों के पक्ष को चुनें या फिर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में अच्छा प्रचार पाने के लिये काम करें? हमने किसानों का हित चुना. हमने देश के गरीब लोगों के हित का विकल्प चुना. ‘ भारत ने पिछले महीने जिनेवा में डब्ल्यूटीओ की बैठक में अपनी खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कडारुखअपनाया जिससे बातचीत असफल हो गई. भारत ने डब्ल्यूटीओ की व्यापार सरलीकरण समझौते (टीएफए) की पुष्टि करने से इनकार कर दिया. इस समझौते के बाद कृषि उत्पादों के आयात पर सीमा शुल्क प्रक्रिया आसान होगी जिसका लाभ विकसित देशों को मिलेगा.