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चांद पर इंसानी बस्ती बसाने की तैयारी में है चीन

– मुकुंद हरि-चांद पर इंसान भेजने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना पर चीन ने तेज रफ्तार से अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिये हैं. चीन की चाहत है कि साल 2020 तक वो अपने बहुप्रतीक्षित चांग ए-5 मिशन के तहत चांद की धरती पर कदम रख सके. इसी बड़ी महत्वाकांक्षा के तहत चीन फिलहाल इस साल […]

– मुकुंद हरि-
चांद पर इंसान भेजने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना पर चीन ने तेज रफ्तार से अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिये हैं. चीन की चाहत है कि साल 2020 तक वो अपने बहुप्रतीक्षित चांग ए-5 मिशन के तहत चांद की धरती पर कदम रख सके.

इसी बड़ी महत्वाकांक्षा के तहत चीन फिलहाल इस साल के आखिर तक पृथ्वी से करीब चार लाख किलोमीटर दूर चंद्रमा पर पहुंचने और फिर धरती पर वापस आने वाले यान को भेजने की तैयारी में लग चुका है. चीन का मानना है कि अगर ये दो तरफा यातायात का मिशन सफल हुआ तो चीन चांद पर अपनी बस्ती बसाने की शुरुआत कर सकता है. इसके अलावा चीनी सेना 2020 तक चंद्रमा की कक्षा में एक स्थायी आर्टिबिटिंग स्टेशन भी बनाना चाहती है.

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक चंद्रमा की सतह से कई नमूने जुटाये जायेंगे और फिर धरती पर इनका विश्लेषण किया जायेगा. चंद्रमा तक जाने और फिर वापस आने वाला मिशन इस साल के अंत में रवाना होगा. चीन की टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्री फॉर नेशनल डिफेंस के मुताबिक इस यान को इस ढंग से तैयार किया जा रहा है कि वे धरती के वायुमंडल में लौटते समय पैदा होने वाली अथाह गर्मी झेल सके. धरती के वायुमंडल में लौटते वक्त घर्षण की वजह से 1500 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की गर्मी पैदा होती है. गुरुत्व बल चीजों को अपनी ओर खींचता है लेकिन उसकी बेकाबू गति से बचने के लिए रिवर्स मोशन की जरूरत पड़ती है. इसी प्रक्रिया में अथाह गर्मी पैदा होती है.

इसी घर्षण और अत्यधिक गर्मी की वजह से फरवरी 2003 में नासा के कोलंबिया अंतरिक्ष यान में सवार भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गयी. धरती के वायुमंडल में घुसते ही कोलंबिया गर्मी और घर्षण की वजह से टुकड़े- टुकड़े हो गया था.

गौरतलब है कि चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम अरबों डॉलर का है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में ताकतवर हो चुका चीन अब तकनीकी क्षेत्र में भी पश्चिम को कड़ी टक्कर देता दिखाई दे रहा है. मून ऑर्बिटर को दक्षिण पश्चिम प्रांत सिंचुआन के शिचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से छोड़ा जायेगा.

इसके पहले चीन चांग ए-3 मिशन पूरा कर चुका है. हालांकि, चीन ने उसे बड़ी सफलता बताया था लेकिन जानकारों के मुताबिक उस अभियान में कई तकनीकी गड़बडि़यांसामने आई थीं. चांग ए-5 इसी अभियान का अत्याधुनिक संस्करण है. इसकी चुनौती बहुत की कम गुरुत्वाकर्षण बल वाले चांद की सतह से यान के टेक-ऑफ करने और फिर धरती के वायुमंडल में सफलता से घुसने की है. चीन नहीं चाहता कि उसके कार्यक्रम में ऐसी कोई परेशानी आये. इसलिए, वो अपने कदम सम्हालकर उठाने की तैयारी में है.

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