RSS प्रमुख भागवत के विवादित बयान पर घमासान जारी
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत के एक बयान पर राजनीतिक हलके में घमसान मच गया है. भागवत ने ओडि़शा के कटक में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि जिस तरह इंग्लैंड में रहनेवाले को अंगरेज, अमेरिका में रहनेवाले अमेरिकी, जर्मनी में रहनेवाले जर्मन कहलाते हैं, तो हिंदुस्तान […]
नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत के एक बयान पर राजनीतिक हलके में घमसान मच गया है. भागवत ने ओडि़शा के कटक में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि जिस तरह इंग्लैंड में रहनेवाले को अंगरेज, अमेरिका में रहनेवाले अमेरिकी, जर्मनी में रहनेवाले जर्मन कहलाते हैं, तो हिंदुस्तान में रहनेवाले सभी लोगों को हिंदू क्यों नहीं कहा जाना चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी पार्टी शिव सेना ने भागवत के बयान का समर्थन किया है, लेकिन कांग्रेस समेत कई दलों ने संघ प्रमुख के बयान की कड़ी आलोचना की है. कांग्रेस, एनसीपी, जनता दल यूनाइटेड (जदयू), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भागवत के इस बयान की कड़ी आलोचना की है.
* विरोधी दलों के नेताओं ने जताया कड़ा एतराज
– भागवत संविधान का ज्ञान नहीं है. यदि होता, तो ऐसा नहीं कहते. पहले संविधान जाकर पढ़ें. बाबा साहेब ने सभी धर्मों को ध्यान में रख कर ही देश का नाम भारत रखा था. धर्मनिरपेक्षता के आधार पर संविधान बना.
मायावती, सुप्रीमो, बसपा
– भागवत की यह बात ठीक है कि फ्रांस में रहनेवाला फ्रांसीसी है. इटली में रहनेवाला इतालवी. भारत में रहनेवाले भारतीय हैं. लेकिन, फ्रांस का कोई व्यक्ति यह नहीं कहेगा कि उसकी पहचान फ्रांसीसी कैथोलिक है. इसलिए भारत में रहनेवाला हर व्यक्ति भारतीय है, हिंदू नहीं.
डीपी त्रिपाठी, नेता,एनसीपी
– संविधान में इनसान बनने का सबक है. 68 बरस हो गये हैं. देश संविधान के रास्ते चल रहा है. और आगे भी चलेगा. जो इसे बदलने की कोशिश करेगा वह सफल नहीं होगा.
शरद यादव, अध्यक्ष, जदयू
– संविधान में सभी धर्मों को बराबर का दर्जा है. व्यक्तिगत तौर पर खुद को हिंदू कहने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन, देश को हिंदू राष्ट्र नहीं कहा जा सकता.
मधुसूदन मिस्त्री, कांग्रेस सांसद
– आज जितना खतरा तालिबान की विचारधारा से है, उतना ही खतरा आरएसएस की विचारधारा से है. मोदी ने मंत्रियों की गरीमा गिरा दी है. सरकार और सत्ता इकबाल से चलती है. वह इकबाल उस समय राजनाथ सिंह का कम हो गया, जिस दिन गृह मंत्री को निजी सचिव रखने का अधिकार छिन गया.
दिग्विजय सिंह ,कांग्रेस महासचिव