क्या कश्मीर में भी अच्छे दिन ला पाएंगे मोदी?
-अंकिता पंवार- अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा देकर सत्ता में आये नरेंद्र मोदी ने अपने एजेंडे में देश के अन्य मुद्दों के साथ-साथ कश्मीर मुद्दे को भी प्रमुख रूप से शामिल किया है.इससे साफ होता है कि मोदी को पूरे देश के साथ-साथ कश्मीर का भी पूरा खयाल है. कश्मीर के दूसरे आधिकारिक […]
-अंकिता पंवार-
अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा देकर सत्ता में आये नरेंद्र मोदी ने अपने एजेंडे में देश के अन्य मुद्दों के साथ-साथ कश्मीर मुद्दे को भी प्रमुख रूप से शामिल किया है.इससे साफ होता है कि मोदी को पूरे देश के साथ-साथ कश्मीर का भी पूरा खयाल है. कश्मीर के दूसरे आधिकारिक दौरे पर गये मोदी ने वहां की आवाम से मुखातिब होकर इसका संदेश दे दिया है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने बाद पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ बोला है. मोदी ने इस दौरान पाकिस्तान की ओर से किये जा रहे सीजफायर उल्लंघन के बारे में कहा कि पाक के पास सीधी लड़ाई की ताकत नहीं है इस लिए वह पीछे से हमला कर रहा है.
* प्रधानमंत्री के समक्ष चुनौतियां
1.कश्मीर में शांति बहाली
आजादी के बाद से ही जम्मू- कश्मीर सरकार के लिएएक जटिल मुद्दा बना हुआ है. कश्मीर में शांति बहाली आज भी एक बड़ी चुनौती है. प्रधानमंत्री मोदी के लिए जरूरी है कि वे कश्मीरी आवाम के जनजीवन को पटरी पर लाने के लिएप्रयास करें.
इसके लिएमोदी प्रयास कर भी रहे है. मोदी का पडो़सी देशों को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाना इसी योजना का एक हिस्सा है. मोदी बार- बार पाकिस्तान को संदेश दे चुके हैं कि शांति बहाली ही एक रास्ता है जिससे दोनों दोनों देश प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ सकते है.
लेकिन शांति बहाली की राह इतनी भी आसान नहीं है. पाकिस्तान बार बार संघर्ष विराम का उलंघन कर रहा है. साथ ही सरहद पार से पैदा किया जाने वाला आतंकवाद भी जारी है.
शांति बहाली के लिए मोदी न सिर्फ बातचीत को तैयार हैं बल्कि वो इसके लिएसैन्य बल प्रयोग करने के लिए तैयार हैं. जरूरत पड़ने पर वो बल प्रयोग द्वारा भी उचित जवाब दे सकते है.
2.कश्मीरी आवाम में केंद्र सरकार के प्रति विश्वास पैदा करना
कश्मीर के लोगों की मुख्य समस्या यह है कि केंद्र सरकार जो भी नीति बनाती है, उसे कश्मीरी अपने अनुकूल नहीं समझते है. इसलिए यह जरूरी है कि केंद्र कश्मीरियों के उत्थान के लिए जो भी नीति बनाये उसके बारे में वह कश्मीरियों को भली-भांति समझाये और उन्हें यह महसूस कराये कि यह योजना उत्थान और कल्याण के लिए बनी है.
आतंकवाद की मार झेल रहे कश्मीर की आवाम में सेना को लेकर भी असंतोष व्याप्त है.समय समय पर वहां के मुख्यमंत्री भी सेना को प्राप्त विशेष अधिकारों की समाप्ति की मांग करते रहे हैं. मोदी की चुनौती कश्मीर के लोगों में सेना और नई दिल्ली की सरकार के प्रति सम्मान और भरोसा पैदा करने की है.
3.कश्मीरी युवकों को रोजगार मुहैया कराना
कश्मीर मे बेरोजगारी एक मुख्य समस्या बनी हुई है. कश्मीर में आतंकवाद की जड़े जो इतनी गहरे तक बनी है उसके पीछे सबसे बड़ी वजह युवकों में फैली हुई बेरोजगारी है. रोजगार के अभाव में कई आतंकवादी समूह बड़ी संख्या में युवकों को गुमराह करके पूरे कश्मीर को आतंकवाद की आग में झोंके हुए है.
4कश्मीरी पंडितों की सफल घर वापसी
कश्मीर में आतंकवाद का प्रभाव जिन लोगों पर सबसे ज्यादा पड़ा है वोकश्मीरीपंडित हैं. यहां बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित अपने घरों से विस्थापित हुए हैं. अब मोदी सरकार की जिम्मेदारी है कि कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की राहें आसान बनायी जायें. अगर ऐसा होता है आतंकवादियों के हौसले भी कमजोर होंगे.
5.पर्यटन का विकास
जम्मू कश्मीर देश का एक ऐसा राज्य है जहां पर्यटन के विकास की बहुत संभावनाएं है. इससे न सिर्फ रोजगार पैदा होगा बल्कि देश अन्य नागरिकों के लिये भी कश्मीर के दरवाजे खुलेंगे. पर्यटन के बढ़ने से इसकी बहुत संभावनाए हैं. ये बहुत जरूरी है कि कश्मीरी लोग भी अन्य नागरिकों से खुद को जोड़ पायें.
*क्या मोदी सफल हो पाएंगे
बड़े-बड़े वादों के साथ मोदी सत्ता में आ तो गये है लेकिन उनकी राहें इतनी भी आसान नहीं दिख रही है. मोदी के सामने तमाम चुनौतिया हैं. सवाल सिर्फ नीतियां बना लेने या घोषणा कर लेने भर का का नहीं है. सवाल ये है कि उन नीतियों पर जमीनी स्तर पर सही तरीके से काम किया जाता है या नहीं. कश्मीर मुद्दे की जटिलताएं इतनी अधिक हैं कि इस पर पहले भी सरकारें नीतियां बनाती रही हैं पर यहां के हालातों में कोई बदलाव नहीं आया है.