निर्भया कांड को दखते हुए लोकसभा में किशोर न्याय विधेयक पेश

नयी दिल्ली:निर्भया कांड जैसे अपराधों में 16 से 18 वर्ष तक के किशोरों की बढती संलिप्तता की समस्या से निपटने के मामले में लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया. दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड जैसे अपराधों को अंजाम दिए जाने में 16 से 18 वर्ष के किशोरों की बढती संलिप्तता की समस्या से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2014 5:47 PM

नयी दिल्ली:निर्भया कांड जैसे अपराधों में 16 से 18 वर्ष तक के किशोरों की बढती संलिप्तता की समस्या से निपटने के मामले में लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया.

दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड जैसे अपराधों को अंजाम दिए जाने में 16 से 18 वर्ष के किशोरों की बढती संलिप्तता की समस्या से निपटने के लिए लोकसभा में आज एक महत्वपूर्ण और व्यापक विधेयक पेश किया गया.

विधेयक के कारणों और उद्देश्यों में बताया गया है कि हालिया वर्षो में 16 से 18 आयु वर्ग के बच्चों द्वारा किए जा रहे अपराधों की बढती संख्या से यह साफ होता है कि किशोर न्याय अधिनियम 2000 के तहत मौजूदा व्यवस्था और प्रावधान इस आयु वर्ग के बाल अपराधियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम नहीं हैं.

साथ ही कहा गया है कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकडें भी यह स्थापित करते हैं कि इस आयु वर्ग के बच्चों द्वारा किए जा रहे अपराध बढे हैं खासतौर से जघन्य अपराधों की कुछ श्रेणियों में. इस विधेयक में जरुरतमंद बच्चों की उचित देखभाल तथा सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी प्रावधान भी शामिल किया गया है.

किशोर न्याय,बालकों की देखरेख और संरक्षण विधेयक 2014 को महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पेश किया जिसमें 2000 में बनाए गए एक कानून को रद्द करने तथा बच्चों की देखरेख एवं उन्हें सुरक्षा उपलब्ध कराने, उनके पुनर्वास तथा किशोरों द्वारा अंजाम दिए गए अपराधों की समस्या से निपटने के साथ ही अन्य संबंधित विषयों के लिए भी प्रावधान किए गए हैं.

कानून में यह बदलाव 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के एक दोषी को किशोर अपराधी को सुधार गृह में तीन साल की हल्की सजा दिए जाने को लेकर समाज में व्याप्त आक्रोश की को देखते हुए किया जा रहा है.

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