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उच्चतम न्यायालय हुई में चार नये न्यायाधीशों की नियुक्ति

नयी दिल्ली:आज चार नये न्यायाधीशों के पदभार संभालने के साथ ही शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीष आर एम लोढा समेत न्यायाधीशों की कुल संख्या 30 हो गई है.न्यायमूर्ति अभय मनोहर सापरे, न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने आज उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रुप में पदभार ग्रहण किया. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 13, 2014 1:44 PM

नयी दिल्ली:आज चार नये न्यायाधीशों के पदभार संभालने के साथ ही शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीष आर एम लोढा समेत न्यायाधीशों की कुल संख्या 30 हो गई है.न्यायमूर्ति अभय मनोहर सापरे, न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने आज उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रुप में पदभार ग्रहण किया.

न्यायमूर्ति पंत(62) न्यायमूर्ति सापरे(59) क्रमश मेघालय उच्च न्यायालय, गोहाटी उच्च न्यायालय में और न्यायमूर्ति भानुमति (58) झारखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्यरत थे. 58 वर्षीय न्यायमूर्ति ललित को बार से शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत किया गया है. वह वरिष्ठ अधिवक्ता थे और उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की सिफारिश वाले पैनल में शामिल थे.

उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की अधिकतम संख्या प्रधान न्यायाधीष को मिलाकर 31 तक हो सकती है. शीर्ष अदालत का न्यायाधीश पद ग्रहण करने वाले इन चारों न्यायाधीशों को प्रधान न्यायाधीष आर एम लोढा ने पद की शपथ दिलाई.

न्यायमूर्ति पंत को सितंबर 2013 में मेघालय उच्च न्यायालय का प्रथम मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. उनका जन्म तत्कालीन अविभाजित उत्तरप्रदेश के पिथौरागढ जिले में हुआ था और वर्ष 1976 में वह उत्तरप्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए. वह विभिन्न पदों पर रहे.

वह जून 2004 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश बने और फरवरी 2008 में वह स्थायी न्यायाधीश बने. न्यायमूर्ति सापरे का जन्म जबलपुर में हुआ था और पिछले साल अक्तूबर में वह गोहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने थे.

उन्होंने जबलपुर में विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग से एलएलबी की डिग्री ली और वर्ष 1978 में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक वकील के रुप में अपना पंजीकरण करवाया.

उन्होंने दीवानी, संवैधानिक, कराधान, कंपनी कानून और श्रम कानूनों में वकालत की है. वह मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में आयकर विभाग के स्थायी अधिवक्ता थे. वर्ष 1999 में उन्हें उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वर्ष 2001 में वह स्थायी न्यायाधीश बने.

उनका स्थानांतरण राजस्थान उच्च न्यायालय में किया गया और वह छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी रह चुके हैं.

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