जासूसी कांड के आरोपों में घिरने के बाद आज लोकसभा में नितिन गडकरी जमकर बोले. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को लोकसभा में रामसेतुपर एक नहीं चार-चार विकल्प सुझाए. उन्होंने कहा कि मामले पर सरकार का रुख बिल्कुल साफ है कि रामसेतु को तोडा नही जाएगा. इन्होंने इसके अलावा टॉल टैक्स पर भी चर्चा की और सड़क निर्माण की प्रक्रिया तेज करने की बात भी कही.
रामसेतु पर गडकरी का बयान
रामसेतु के बारे में गडकरी ने कहा कि रामसेतू को तोडा नहीं जाएगा. गडकरी ने आगे कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए वह ज्यादा नहीं बोलेंगे. लेकिन चार विकल्प सुझाए गए हैं. इन विकल्पों पर सबके साथ चर्चा की जाएगी और उसके बाद कोर्ट में जवाब दिया जाएगा. गडकरी ने कहा कि यह ऐसा सुझाव होगा जो संभवतः दोनों पक्षों को मान्य होगा.
टॉल टैक्स का मामला क्या है
गडकरी ने टॉल टैक्स मुद्दे पर कहा कि जिन हाइवे के लागत की वसूली हो चुकी है उसकी टॉलटैक्स खत्म की जाएगी. गौरतलब है कि मुंबई सहित देश के कई हिस्सों में टॉलटैक्स आम लोगों के यात्रा लागत का एक हिस्सा है. हाइवे में यात्रा के दौरान उन्हें कई जगह टॉल टैक्स चुकाना पड़ता है जिससे उनकी यात्रा का खर्च काफी बढ़ जाता है. मुंबई में इसको लेकर आंदोलन भी हुए हैं. उधर महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं ऐसे में गडकरी की यह घोषणा उनकी दूरदर्शिता को दिखाता है.
रोज 30 किलोमीटर सड़क बनाने का लक्ष्य
गड़करी ने लोकसभा में यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य है कि रोज 30 किलोमीटर सड़क बनाई जाए. लेकिन दुर्भाग्यवश इस साल जुलाई से एक किलोमीटर सड़क भी नहीं बनाई जा सकी. मैं इससे खुश नहीं हूं. फंड की कोई कमी नहीं है. दो साल बाद परिणाम दिखने लगेंगे.
पहले भी सड़क निर्माण में दिखा चुके हैं अपनी कौशल क्षमता
गड़करी जब महाराष्ट्र में पीडब्ल्यूडी मंत्री थे तो उन्होंने वहां कई सड़कों का निर्माण करवाया. इसके अलावे हाईवे व फ्लाईओवर का भी निर्माण करवाया. यशवंतराव चव्हाण मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे गडकरी की ही देन है.
इस एक्सप्रेस वे के निर्माण के संबंध में कहा जाता है कि जब इस एक्सप्रेस वे का निर्माण होना था उस वक्त तत्कालिन शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने कहा था कि इसके निर्माण कार्य को किसी निजी कंपनी को दे दिया जाय. लेकिन गडकरी ने उन्हें आश्वस्त किया और तय खर्च सीमा से कम में इस एक्सप्रेस वे का निर्माण करवाया.
कुशल प्रबंधन क्षमता
नितिन गडकरी न केवल एक राजनेता बल्कि उद्योगपति भी रहें हैं. और ये जमीनी स्तर से उठे नेता माने जाते हैं. अतः नेता व उद्योगपति होने के कारण माना जाता है कि इनमें कुशल प्रबंधन क्षमता है. अपनी व्यापारिक कुशलता का प्रयोग ये राजनीति में भी करते हैं. किसी काम के करने से उसके नफे-नुकसान का खाका वे पहले ही खींच लेते हैं.
जो भी हो रामसेतू का मुद्दा पिछली सरकार के समय से ही चर्चा में रहा है. यह विवाद बाद में इतना बढा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया. गडकरी अगले महीने रामसेतु का दौरा भी करने वाले हैं, ऐसे में देखना होगा कि उनका यह दौरा रामसेतू मुद्दे को सुलझाता है या फिर इसे और उलझाता है. साथ ही गडकरी के गुरुवार को लोकसभा में दिये गये बयान से राजनीतिक हलकों के साथ-साथ आम जनता में भी यह उत्सुकता बढी है कि गडकरी के वे उपाय कौन से होंगे जिससे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.