‘पीके’ को राहत,सुप्रीम कोर्ट ने कहा,पोस्टर में कुछ भी गलत नहीं

नयी दिल्ली: फिल्म ‘पीके’ को लेकर उठे विवाद में अब अभिनेता आमिर खान राहत की सांस ले सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ‘पीके’ में कथित रुप से अश्लीलता को बढावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाने के आरोप के कारण इसके प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने से इंकार करते हुये आज कहा कि ‘कला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2014 5:38 PM

नयी दिल्ली: फिल्म ‘पीके’ को लेकर उठे विवाद में अब अभिनेता आमिर खान राहत की सांस ले सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ‘पीके’ में कथित रुप से अश्लीलता को बढावा देने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाने के आरोप के कारण इसके प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने से इंकार करते हुये आज कहा कि ‘कला और मनोरंजन के मामले में’ धर्म को नहीं लाना चाहिए.

शीर्ष अदालत को आमिर खान को अर्धनग्न अवस्था में दर्शाने वाले ‘पीके’ के पोस्टर में कुछ भी गलत नजर नहीं आया. राजकुमार हिरानी निर्देशित इस फिल्म में 48 वर्षीय आमिर खान को एक रेलवे लाइन पर नग्नावस्था में एक ट्रांजिस्टर से अपनी अस्मिता की रक्षा करते दिखाया गया है.

प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कथित रुप से अश्लीलता को बढावा देने वाली आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाने के लिये दायर याचिका खारिज करते हुये यह टिप्पणी की.

याचिकाकर्ता के वकील नफीस सिद्दीकी ने जब इस फिल्म का पोस्टर दिखाया तो न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘इसमें क्या गलत है. इन बातों के लिये बहुत अधिक संवेदनशील होने की जरुरत नहीं है.’’ याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि इसके पोस्टर धार्मिक भावनाओं को आहत करते हैं और इससे लोक व्यवस्था भंग हो सकती है. इस पर न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘ये कला और मनोरंजन का मामला है. इसे ऐसे ही रहने दिया जाये. धर्म के पहलू को इसमें नहीं लाया जाये. ’’

न्यायालय ने जानना चाहा कि यह पोस्टर या फिल्म किस तरह से संविधान और कानून के प्रावधानों का हनन करती है. न्यायाधीशों ने सवाल किया, ‘‘क्या इससे कोई कानूनी या संवैधानिक अधिकार प्रभावित हुये हैं. फिल्म निर्माताओं पर किसी प्रकार का प्रतिबंध लगाने से, जैसा आप चाहते हैं, उनके अधिकार प्रभावित होंगे.’’ न्यायालय ने कहा कि इंटरनेट युग में युवा वर्ग से कुछ भी छिपा नहीं है और इसमें किसी प्रकार के निषेध आदेश की आवश्यकता नहीं है.

न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हमारा समाज काफी परिपक्व है. इससे कोई भी आन्दोलित नहीं होगा. यदि आप को पसंद नहीं है तो आप फिल्म मत देखिये.’’ ‘पीके’ फिल्म और इसके पोस्टर के खिलाफ अखिल भारतीय मानव अधिकार एवं सामाजिक न्याय मोर्चा ने याचिका दायर की थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि फिल्म में नग्नता को बढावा दिया गया है.

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