दुनिया में एक नहीं दो हिटलर:दिग्विजय सिंह
मुंबई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. भागवत ने भारत को हिंदू राष्ट्र बोलकर नये विवाद को जन्म दे दिया है. उन्होंने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और हिंदुत्व उसकी पहचान है.
उन्होंने कहा, हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है…हिंदुत्व हमारे राष्ट्र की पहचान है और यह अन्य (धर्मों) को स्वयं में समाहित कर सकता है. पिछले सप्ताह भागवत ने कटक में कथित तौर पर कहा था, सभी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान हिंदुत्व है और देश के वर्तमान निवासी इसी महान संस्कृति की संतान हैं. उन्होंने सवाल किया था कि यदि इंगलैंड के लोग इंगलिश हैं, जर्मनी के लोग जर्मन हैं, अमेरिका के लोग अमेरिकी हैं तो हिंदुस्तान के सभी लोग हिंदू के रुप में क्यों नहीं जाने जाते.
संघ प्रमुख विहिप के स्वर्णजयंती समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मुम्बई में थे. विहिप की स्थापना 29-30 अगस्त, 1964 को मुम्बई में हुई थी. उन्होंने विहिप के लक्ष्यों के बारे में कहा, अगले पांच सालों में हमें देश में सभी हिंदुओं के बीच समानता लाने के लक्ष्य पर काम करना है. सभी हिंदुओं को एक ही स्थान पर पानी पीना चाहिए, एक ही स्थान पर प्रार्थना करना चाहिए, और देहावसान के पश्चात उनके पार्थिव शरीरों का एक ही स्थान पर दाह संस्कार किया जाना चाहिए.
* अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण किसी भी कीमत में होगा: तोगडिया
इधर विहिप प्रमुख प्रवीण तोगडिया ने साफ कर दिया है कि अयोध्या में किसी भी कीमत में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा. प्रवीण तोगडिया से जब राममंदिर मुद्दे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, हमने किसी भी कीमत पर अयोध्या में भव्य मंदिर का निर्माण करने का निर्णय लिया है. जब तक राममंदिर बन नहीं जाता तबत क वह हमारे एजेंडे में रहेगा. उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान भारतीय प्रशासन द्वारा वांछित लोगों को सौंप नहीं देता तब तक उसके द्वारा उठाए गए किसी भी कदम तो शांति बहाली की दिशा में उठाया गया कदम नहीं समझा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान सीमापर बार बार संघर्षविराम का उल्लंघन कर रहा है. जब तक वह दाउद इब्राहिम, हाफिज सईद और मसूद अजहर को भारत के सुपुर्द नहीं कर देता और उन्हें भारत में विधिसम्मत तरीके से फांसी नहीं दे दी जाती, तब तक उसके (पाकिस्तान के) किसी भी कदम तो शांति बहाली की दिशा में उठाया गया कदम नहीं समझा जाना चाहिए.