दुनिया में एक नहीं दो हिटलर:दिग्विजय सिंह

नयी दिल्‍ली: हिन्‍दुत्‍व पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के विवादित बयान के बाद कांग्रेस नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोर्चा खोल दिया है. उन्‍होंने मोहन भागवत के बयान की घोर निंदा की है.दिग्विजय सिंह ने बयान की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है. उन्‍होंने मोहन भागवत से सवाल पूछा है कि क्‍या हिन्‍दुत्‍व धार्मिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 18, 2014 9:52 AM

नयी दिल्‍ली: हिन्‍दुत्‍व पर संघ प्रमुख मोहन भागवत के विवादित बयान के बाद कांग्रेस नेता और महासचिव दिग्विजय सिंह ने मोर्चा खोल दिया है. उन्‍होंने मोहन भागवत के बयान की घोर निंदा की है.दिग्विजय सिंह ने बयान की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है. उन्‍होंने मोहन भागवत से सवाल पूछा है कि क्‍या हिन्‍दुत्‍व धार्मिक पहचान है? सनातन धर्म से इसकाक्‍यारिश्‍ता है.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि मोहन भागवत यह साफ करेंगे क‍ि एक इस्‍लाम,सिख,ईसाई,बुद्ध धर्म को मानने वाला भी हिंदू है.उन्‍होंने मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि दुनिया में एक नहीं दो हिटलर हैं.

दिग्विजय सिंह ने कहा कि हिंदू और हिन्‍दुत्‍व जैसे शब्‍द हमारे धर्म ग्रंथ गीता,वेद,पुराण या उपनिषद किसी में भी नहीं हैं. आरएसएस अपनी हिन्‍दुवादी राजनीति के लिए आम लोगों को मूर्ख बनान बंद करे. दिग्विजय सिंह ने कहा मुझे अपने सनातन धर्म पर गर्व है.

* हिन्‍दुत्‍व पर क्‍या कहा था मोहन भागवत ने

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विहिप के स्वर्णजयंती समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा था, हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है…हिंदुत्व हमारे राष्ट्र की पहचान है और यह अन्य (धर्मों) को स्वयं में समाहित कर सकता है. उन्होंने विहिप के लक्ष्यों के बारे में कहा, अगले पांच सालों में हमें देश में सभी हिंदुओं के बीच समानता लाने के लक्ष्य पर काम करना है. सभी हिंदुओं को एक ही स्थान पर पानी पीना चाहिए, एक ही स्थान पर प्रार्थना करना चाहिए, और देहावसान के पश्चात उनके पार्थिव शरीरों का एक ही स्थान पर दाह संस्कार किया जाना चाहिए.

* कटक में भी दिया था विवादित बयान

पिछले सप्ताह भागवत ने कटक में कथित तौर पर कहा था, सभी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान हिंदुत्व है और देश के वर्तमान निवासी इसी महान संस्कृति की संतान हैं. उन्होंने सवाल किया था कि यदि इंगलैंड के लोग इंगलिश हैं, जर्मनी के लोग जर्मन हैं, अमेरिका के लोग अमेरिकी हैं तो हिंदुस्तान के सभी लोग हिंदू के रुप में क्यों नहीं जाने जाते.

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