इंफाल : 14 साल से अनशनरत इरोम शर्मिला को बुधवार को जब अस्थायी हिरासत से रिहा किया गया तो वह नम आंखों से बाहर निकलीं. उसने सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को हटाने के लिए लड़ाई जारी रखने की प्रतिबद्धता जतायी.
शर्मिला पोरोपट में सरकारी अस्पताल के उस कमरे से बाहर निकली जिसे हिरासत में तब्दील कर दिया गया था. बेहद कमजोर लग रही 41 वर्षीय शर्मिला की नाक में नली नहीं लगी थी, जो उनके संघर्ष का पिछले कुछ सालों से प्रतीक बन गयी थी. उन्होंने कहा कि ‘जब तक मेरी मांगें नहीं मानी जाती मैं अपने मुंह से कुछ भी नहीं लूंगी. यह मेरा अधिकार है. यह मेरे संघर्ष का साधन है.’