प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज झारखंड की राजधानी रांची में राज्य के सबसे बड़े पावर ग्रिड का उद्घाटन किया, साथ ही प्रस्तावित नॉर्थ कर्णपुरा सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट का भी ऑनलाइन शिलान्यास किया. इसके पहले नरेंद्र मोदी ने इसी सप्ताह 19 अगस्त को हरियाणा के कैथल में कैथल-सिवानी-राजगढ़ राजमार्ग को फोरलेन बनाने की अति महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया. इसके पहले मोदी जम्मू-कश्मीर भी गये थे जहां लेह में उन्होंने एक हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया और 349 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन का शिलान्यास किया. गौरतलब है कि आज ही रांची के बाद मोदी महाराष्ट्र के नागपुर रवाना हुए जहां नागपुर मेट्रो का उद्घाटन करेंगे.
अब यहां यह उल्लेखनीय है कि जहां-जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल में प्रधानमंत्री बनने के बाद दौरा कर रहें हैं वहां विधानसभा चुनाव होने हैं. कुछ विश्लेषक तो ये भी कह रहें हैं कि मोदी का यह कहीं चुनावी बिगुल तो नहीं है. अगर नहीं तो फिर वैसे राज्यों के दौरे पर ही क्यों हैं जहां अब कुछ ही माह में विधान सभा चुनाव होने वालें हैं.
हरियाणा में मोदी का कार्यक्रम
हरियाणा में हालांकि मोदी का सरकारी कार्यक्रम था जहां उन्होंने कैथल-सिवानी-राजगढ़ राजमार्ग को चारमार्गीय बनाने की अति महत्वाकांक्षी परियोजना का शिलान्यास किया. उन्होंने वहां कि विकास और उपलब्धियों से संबंधित बाते भी कही.
लेकिन वहां पर भाजपा कार्यकर्ताओं का मोदी के प्रति जबरदस्त जोश धीरे-धीरे अव्यवस्था में भी तब्दील हो गया. केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और कृष्णपाल गुर्जर के बाद जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोलने के लिए उठे तो लोगों ने मोदी-मोदी के नारे लगाने शुरू कर दिए. भीड़ को नियंत्रित करने के सारे पुलिस इंतजाम फेल हो गए. इस घटना से मुख्यमंत्री हुड्डा इतने आहत हुए कि उन्होंने इसे सोंची समझी साजिश बताया और भविष्य में मोदी के कार्यक्रम में न जाने की घोषणा कर दी.अगर मोदी एक प्रधानमंत्री की हैसियत से वहां किसी कार्यक्रम के उद्घाटन या शिलान्यास के लिए गये थे तो उसे फिर राजनितिक रंग देने की क्या आवश्यकता थी.
झारखंड में भी दोहरायी गयी हरियाणा की कहानी
आज जब झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यक्रम को संबोधित करना शुरु किये तो यहां भी हरियाणा के इतिहास को दोहराया गया. यहां भी हेमंत सोरेन की हूटिंग की गयी और मोदी-मोदी के नारे लगाये गये. गौरतलब है कि यह कोई चुनावी कार्यक्रम नहीं था. यह प्रधानमंत्री का देश के लिए सरकारी कार्यक्रम था. और प्रोटोकॉल के तहत इसमें राज्य के मुखिया को भी रहना होता है. ऐसे में अगर उनके राज्य में ही उसके खिलाफ हूटिंग की जाती है तो कहीं न कहीं यह गलत परंपरा का संकेत है.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने मोदी के साथ मंच में जाने से किनारे का दिया संकेत
कैथल और रांची में वहां के मुख्यमंत्रियों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने का खामियाजा भुगतते देख अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने उनसे किनारा करने का संकेत दिया है. उन्होंने कह दिया कि वे उद्घाटन में पीएम के साथ मंच साझा नहीं करेंगे.
जाहिर है कि हरियाणा में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में एक गलत परंपरा की शुरुआत हुई. अगर जाने-अनजाने वहां इसकी शुरुआत हुई तो उसे रोकना पार्टी का दायित्व होना चाहिए था लेकिन वही इतिहास अब झारखंड में दोहराया गया. और अगर महाराष्ट्र में भी ऐसा होता है तो इसे सरकारी कार्यक्रम से ज्यादा एक चुनावी दौरा कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा.