रोजे के दौरान जबरन रोटी खिलाने के आरोपी शिवसेना सांसदों के खिलाफ याचिका खारिज

नयी दिल्ली : महाराष्ट्र सदन में रोजे के दौरान एक कर्मचारी के मुंह में जबरन रोटी ठूंसने के मामले में शिवसेना के 11 सांसदों को अयोग्य करार दिये जाने के संबंध में दायर याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया. इस जनहित याचिका में यह मांग की गयी थी कि शिवसेना के 11 […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2014 2:03 PM

नयी दिल्ली : महाराष्ट्र सदन में रोजे के दौरान एक कर्मचारी के मुंह में जबरन रोटी ठूंसने के मामले में शिवसेना के 11 सांसदों को अयोग्य करार दिये जाने के संबंध में दायर याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया.

इस जनहित याचिका में यह मांग की गयी थी कि शिवसेना के 11 सांसदों को अयोग्य घोषित करने के निर्देश लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के अध्यक्ष को दी जाये.मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ की एक पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता मौलाना अंसार रजा ने इस बात के पर्याप्त सबूत नहीं दिये हैं, कि यह एक जनहित याचिका है.

अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस पहले ही इस मामले की जांच कर रही है और गृहमंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की है.अदालत ने कहा, किसी भी असंतुष्ट पक्ष ने इस कथित घटना के संदर्भ में पुलिस के पास प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए संपर्क नहीं किया.इससे पहले केंद्र का पक्ष रखने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने अदालत को बताया था कि पीडि़त ने पुलिस से संपर्क नहीं किया ,इसलिए जनहित याचिका कहीं नहीं ठहरती.

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने जनहित याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि याचिका में शिवसेना की मान्यता रद्द करने और लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति को पार्टी के 11 सांसदों को अयोग्य करार देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

इस जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि 17 जुलाई को शिवसेना के एक सांसद राजन विचारे भोजन की खराब गुणवत्ता से बेहद नाराज हुए और उन्होंने इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) के कर्मचारी अरशद जुबैर को जबरन भोजन खिलाया. जुबैर महाराष्ट्र सदन में केटरिंग का सुपरवाइजर था और उसने रमजान के महीने के दौरान रोजे रखे हुए थे.

जनहित याचिका में कहा गया था, शिवसेना के सांसदों का रोजेदार मुस्लिम सुपरवाइजर के साथ बर्ताव अनुचित था और इसपर पार्टी के प्रमुख उद्धव ठाकरे को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

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