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सुप्रीम कोर्ट लोकपाल के लिये विपक्ष के नेता के प्रावधान की व्याख्या करने पर सहमत

नयी दिल्ली: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय ने प्रतिपक्ष का नेता नहीं होने की स्थिति में विधायी निकायों के चयन के मामलों में लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता के प्रावधान संबंधी मामले की व्याख्या करने का आज निर्णय किया. प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मसले पर केंद्र […]

नयी दिल्ली: एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में उच्चतम न्यायालय ने प्रतिपक्ष का नेता नहीं होने की स्थिति में विधायी निकायों के चयन के मामलों में लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता के प्रावधान संबंधी मामले की व्याख्या करने का आज निर्णय किया.

प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मसले पर केंद्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश देते हुये प्रतिपक्ष के नेता पद के महत्व पर जोर दिया और कहा कि प्रतिपक्ष का नेता सदन में सरकार से अलग आवाज का प्रतिनिधित्व करता है.

न्यायालय ने कहा कि प्रतिपक्ष का नेता एक महत्वपूर्ण अंग (लोकपाल कानून के तहत) है और मौजूदा राजनीतिक हालत में इस मसले पर तथ्यपरक तरीके से विचार करने की आवश्यकता है जब कि लोक सभा में कोई प्रतिपक्ष का नेता नहीं है.प्रतिपक्ष के नेता का मसला न्यायालय में ऐसे समय आया जब कांग्रेस समूह के नेता को लोक सभा में प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा देने से इंकार किया जा चुका है.

न्यायालय लोकपाल कानून के प्रावधानों की जांच कर रहा था. इस कानून के तहत भ्रष्टाचार निरोधी संस्था के लिये चयन करने वाली समिति में लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता भी शामिल होगा.

न्यायालय ने कहा कि प्रतिपक्ष का नेता नहीं होने के कारण कानून को ठंडे बस्ते में नहीं डाला जा सकता और इसलिए इस विषय की कुछ न कुछ व्याख्या करने की आवश्यकता है. न्यायालय ने सवाल किया कि क्या इस कानून के लिये सबसे बडे विपक्षी दल के नेता को प्रतिपक्ष के नेता का दर्जा दिया जा सकता है.

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