नयी दिल्ली: देशभर में विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा में आज साढे चार लाख से अधिक परीक्षार्थी बैठे और परीक्षा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई. परीक्षा की मौजूदा पद्धति में बदलाव की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शनों के कारण यह परीक्षा विवाद में घिर गई थी.
देशभर के 59 शहरों में 2137 परीक्षा केंद्रों पर चार लाख 51 हजार 602 उम्मीदवार परीक्षा में बैठे. पिछले वर्ष की तुलना में इस साल तकरीबन 1.27 लाख अधिक परीक्षार्थी परीक्षा में बैठे.
संघ लोक सेवा आयोग के सचिव अशिम खुराना ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘देश में किसी भी परीक्षा केंद्र पर विरोध प्रदर्शन की कोई घटना नहीं हुई. हम बेहद खुश हैं कि परीक्षा कानून व्यवस्था की किसी भी समस्या के बिना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई.’’ उन्होंने कहा कि जिस किसी भी राज्य में परीक्षा आयोजित की गई वहां के मुख्य सचिव ने किसी भी प्रदर्शन की जानकारी नहीं दी.
उन्होंने कहा, ‘‘यूपीएससी के सभी अधिकारियों, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और मुख्य सचिवों ने परीक्षा के शांतिपूर्ण आयोजन के लिए सफलतापूर्वक समन्वय किया.’’ परीक्षा के लिए कुल 9 लाख 44 हजार 926 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था और उनमें से 6 लाख 80 हजार 455 परीक्षार्थियों ने अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड किया था.
खुराना ने बताया, ‘‘कुल 4 लाख 51 हजार 602 उम्मीदवार देशभर में विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा में बैठे. पिछले साल की तुलना में यह 1.27 लाख अधिक है.’’ साल 2013 में सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में कुल 3 लाख 24 हजार 101 परीक्षार्थी परीक्षा में बैठे थे.यूपीएससी ने वाराणसी, नोएडा, गाजियाबाद, गुडगांव, ग्वालियर और जबलपुर समेत 14 नए शहरों में इस बार परीक्षा केंद्र बनाए थे. अकेले दिल्ली में 222 परीक्षा केंद्र थे.
गुजरात कैडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी खुराना ने बताया, ‘‘कुल 66 हजार 787 उम्मीदवार दिल्ली में परीक्षा में बैठे.’’ प्रथम प्रश्न पत्र की परीक्षा सुबह साढे नौ बजे शुरु हुई थी जबकि दूसरे प्रश्नपत्र की परीक्षा अपराह्न ढाई बजे शुरु हुई.
कुछ परीक्षार्थियों ने प्रथम प्रश्न पत्र में हिंदी अनुवाद में कथित तौर पर कुछ त्रुटियां होने की शिकायत की.अनुवाद में त्रुटि के संबंध में परीक्षार्थियों के दावे पर न तो सरकार से और न ही संघ लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) से कोई टिप्पणी आई.परीक्षा के लिए तकरीबन नौ लाख परीक्षार्थियों ने आवेदन किया था.
हाल में परीक्षा की पद्धति को लेकर विवाद पैदा हो गया था क्योंकि परीक्षार्थियों ने सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) या द्वितीय प्रश्नपत्र की पद्धति में बदलाव की मांग की थी और इसको लेकर उन्होंने सडकों पर हिंसक आंदोलन भी किया था.
इस तरह के प्रदर्शन के मद्देनजर कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह ने 4 अगस्त को संसद में कहा था कि द्वितीय प्रश्न पत्र में पूछे गए अंग्रेजी के खंड के सवालों के अंक सिविल सेवा परीक्षा में मेधा सूची तैयार करने के लिए नहीं जोडे जाएंगे.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और यूपीएससी ने अलग-अलग निर्देश जारी कर परीक्षार्थियों से द्वितीय प्रश्नपत्र में पूछे गए अंग्रेजी कंप्रीहेंशन के सवालों को हल नहीं करने को कहा था क्योंकि उनके अंक मेधासूची तैयार करने में नहीं जोडे जाएंगे.
द्वितीय प्रश्न प्रत्र में कंप्रीहेंशन, संचार कौशल समेत अंतर व्यक्तिक कौशल, तर्कशक्ति और एनालिटिकल एबिलिटी, निर्णय क्षमता और समस्या हल करने की क्षमता, सामान्य मानसिक अभियोग्यता, बुनियादी गणना और अंग्रेजी भाषा के कंप्रीहेंशन (10 वीं कक्षा के स्तर के) के सवाल पूछे जाते हैं.हालांकि, छात्रों के एक समूह ने कहा कि वे विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.
इस मुद्दे पर आंदोलन चला रहे ‘‘नागरिक अधिकार मंच’’ से जुडे छात्र संपूर्णानंद ने कहा, ‘‘हम सिविल सेवा परीक्षा की मौजूदा पद्धति के खिलाफ हैं. हम इस पद्धति में बदलाव चाहते हैं.’’ परीक्षा का फॉर्म भरने वाले लेकिन परीक्षा में नहीं बैठने वाले एक अन्य छात्र ने कहा, ‘‘हम परीक्षा और जो इसमें बैठ रहे हैं उनको बाधा नहीं पहुंचाएंगे। लेकिन हम प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न पत्र को समाप्त करने की मांग तब तक करते रहेंगे जब तक कि सरकार इसमें आवश्यक बदलाव नहीं करती है.’’ प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों में प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार आयोजित की जाती है. इसके जरिए आईएएस, आईएफएस और आईपीएस समेत अन्य सेवाओं के लिए अधिकारियों का चयन किया जाता है.
प्रदर्शनकारी छात्रों के समूह की ओर से दायर याचिका पर अंतिम समय में सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कल प्रारंभिक परीक्षा को स्थगित करने का आदेश देने से इंकार कर दिया था.