जब मोरारजी देसाई ने जताया एटेनबरॉ की फिल्म में ‘नकली’ गांधी पर ऐतराज..
पुणे: ‘‘आखिर महात्मा के चित्रण के लिए हमें नकली गांधी की जरुरत क्यों है ?’’ यह सवाल पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने उस वक्त किया था जब उन्होंने एटेनबरॉ को यहां के ऐतिहासिक आगा खां पैलेस में ‘गांधी’ नाम की फिल्म की शूटिंग की इजाजत देने पर ऐतराज जताया था. देसाई को ऐतराज इस बात […]
पुणे: ‘‘आखिर महात्मा के चित्रण के लिए हमें नकली गांधी की जरुरत क्यों है ?’’ यह सवाल पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने उस वक्त किया था जब उन्होंने एटेनबरॉ को यहां के ऐतिहासिक आगा खां पैलेस में ‘गांधी’ नाम की फिल्म की शूटिंग की इजाजत देने पर ऐतराज जताया था. देसाई को ऐतराज इस बात पर था कि फिल्म में महात्मा गांधी की भूमिका ब्रिटिश अभिनेता बेन किंग्सले निभा रहे थे.
इस वाकये को याद करते हुए गांधी नेशनल मेमोरियल सोसाइटी (जीएनएमएस) ट्रस्ट की तत्कालीन सचिव और आगा खां पैलेस परिसर की संरक्षक शोभना रानाडे ने ‘पीटीआई’ को बताया, ‘‘पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक जाने-माने गांधीवादी थे. जब एटेनबरॉ की यूनिट ने पैलेस के परिसर में फिल्मांकन की अनुमति मांगी थी, तब मोरारजी देसाई जीएनएमएस के अध्यक्ष थे. जिस क्षेत्र में फिल्मांकन की अनुमति मांगी गई थी, उसमें कस्तूरबा (महात्मा गांधी की पत्नी) की ‘समाधि’ भी थी.’’
गांधी की भूमिका एक ब्रितानी (बेन किंग्सले) द्वारा निभाये जाने के विचार पर मोरारजी देसाई की आपत्ति के बारे में बताते हुए 90 साल की रानाडे ने उनके हवाले से कहा, ‘‘हमें महात्मा का चित्रण करने के लिए एक ‘नकली’ गांधी की जरुरत क्यों है ?’’ काफी सोच-विचार के बाद एटेनबरॉ को अनुमति दे दी गई थी. उन्हें ऐतिहासिक आगा खां पैलेस में 10 दिन की शूटिंग के दौरान ‘‘यह करें और यह न करें’’ की जानकारी दी गई थी. शहर के पूर्व में बाहरी क्षेत्र में स्थित यह महल स्वतंत्रता संग्राम के दौरान गांधी को यरवदा जेल में मिली कैद का भी गवाह बना था.
रानाडे ने बताया, ‘‘हमने उन्हें बताया था कि परिसर में शराब और मांसाहारी भोजन की सख्त मनाही है. यहां के ट्रस्टी इन शर्तों का उल्लंघन करने वाले लोगों के प्रति बिल्कुल नरमी नहीं बरतते.’’उन्होंने यह भी कहा कि अपनी पत्नी शीला के साथ आए एटेनबरॉ ने विनम्रता के साथ उनकी सभी शर्तों को दिल से स्वीकार कर लिया था.