दागी को मंत्रिमंडल में नहीं दें जगह,सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री को दी सलाह
नयी दिल्ली:केंद्र के ऐसे मंत्री जिन पर गंभीर मुकदमें चल रहे हैं वे केंद्र में बने रह सकते हैं या नहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दागी नेताओं का मंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए. इस मामले में मनोज नरूला ने याचिका दायर की थी. […]
नयी दिल्ली:केंद्र के ऐसे मंत्री जिन पर गंभीर मुकदमें चल रहे हैं वे केंद्र में बने रह सकते हैं या नहीं इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. सप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दागी नेताओं का मंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए. इस मामले में मनोज नरूला ने याचिका दायर की थी.
कोर्ट के सलाहकार राकेश द्ववेदी ने कहा है कि प्रधानमंत्री के मंत्रियों की नियुक्ति मामले में विशेषाधिकार है. कोर्ट ने प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के अधिकारों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. लेकिन इस फैसले का महत्व यह है कि आगे दागियों को मंत्री बनाया जाएगा तो सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा.
मनोज नरुला ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में न रहने दिया जाए .2004 में कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था. उन्होंने इसके बाद कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिसे कोर्ट ने संवैधानिक बेंच में विचार के लिए भेज दिया था. मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली इस संवैधानिक पीठ की अध्यक्षता की.
गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक दर्जन से अधिक दागी मंत्री है. इन मंत्रियों पर आपराधिक मामले चल रहे है.केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती के खिलाफ ही 13 मामले दर्ज हैं. इन 13 मामलों में से छह मामले दंगों के है जबकि दो मामले दंगों के चल रहे हैं. वहीं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी,उपभोक्ता मामलों के मंत्री राव साहेब दादाराव दांवे और ग्रामीण विकास मंत्री उपेंद्र कुशवाहा पर चार-चार केस चल रहे है. और इन पर चल रहे मुकदमे गंभीर प्रकृति के हैं.
इसके अलावा अन्य भी बहुत से मंत्री है जिन पर आपराधिक मामले चल रहे है. जिनमें नरेंद्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर, रामविलास पासवानडॉ. हर्षवर्धन, धर्मेंद्र प्रधान, निहाल चंद, जनरल वीके सिंह, जुएल ओरांव, मेनका गांधी, संजीव कुमार बालियान है.