वार्ता का मजाक बनाकर पाक ने हमें निराश किया : मोदी

नयी दिल्‍ली: पाकिस्तान के साथ वार्ता रद्द करने पर अपनी चुप्पी तोडते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पडोसी देश अलगाववादी नेताओं से मुलाकात करके ‘तमाशा’ बनाना चाहता था और भारत इससे ‘निराश’ हुआ है. लेकिन उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध बनाने के प्रयास जारी रहेंगे. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 29, 2014 10:03 PM
नयी दिल्‍ली: पाकिस्तान के साथ वार्ता रद्द करने पर अपनी चुप्पी तोडते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पडोसी देश अलगाववादी नेताओं से मुलाकात करके ‘तमाशा’ बनाना चाहता था और भारत इससे ‘निराश’ हुआ है. लेकिन उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध बनाने के प्रयास जारी रहेंगे.
भविष्य की वार्ताओें के नियमों का आधार बनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘कोई भी अर्थपूर्ण द्विपक्षीय बातचीत के लिए जरुरी है कि आतंकवाद और हिंसा से मुक्त वातावरण बने.’ मोदी ने जापान के मीडिया के साथ बातचीत में कहा, ‘भारत पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण, मित्रतापूर्ण और सहयोगात्मक संबंध चाहता है. शिमला समझौते और लाहौर घोषणा के द्विपक्षीय ढांचे के तहत भारत को पाकिस्तान के साथ किसी भी लंबित मामले पर चर्चा करने में कोई हिचक नहीं है.’
प्रधानमंत्री उस सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उनसे 25 अगस्त को पाकिस्तान के साथ होने वाली विदेश सचिव स्तरीय वार्ता को रद्द करने के बारे में पूछा गया था. वार्ता से पहले भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के कश्मीरी अलगाववादियों से मुलाकात करने पर भारत ने बातचीत रद्द करने का फैसला किया था. मोदी ने कहा, ‘हम इस बात से निराश हुए है कि पाकिस्तान ने इन प्रयासों का (वार्ता का) तमाशा बनाने का प्रयास किया और विदेश सचिव स्तरीय वार्ता से एकदम पहले जम्मू कश्मीर के अलगाववादी तत्वों से बातचीत पर आगे बढे.’
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण, मैत्रीपूर्ण और सहयोगपूर्ण संबंध बनाने के प्रयास करना जारी रखेंगे.’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जब मई 2014 में उनके शपथ ग्रहण समारोह में यहां आए थे तब उनकी उनके साथ ‘बहुत अच्छी बैठक’ हुई थी. मोदी ने कहा, ‘हमने एक साथ फैसला किया कि विदेश सचिवों को मिलना चाहिए और देखना चाहिए कि संबंधों को आगे कैसे ले जाया जाए.’
मोदी से भाजपा के उस चुनावी घोषणापत्र के बारे में पूछा गया जिसमें कहा गया था कि पार्टी की ‘सरकार परमाणु सिद्धांत की समीक्षा करेगी और उसे उन्नत करेगी तथा इसे मौजूदा समय की चुनौतियों के मुताबिक प्रासंगिक बनाया जाएगा.’ अपने जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं आपको यह बता सकता हूं कि फिलहाल अपने परमाणु सिद्धांत की समीक्षा के लिए हम कोई कदम नहीं उठा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि पिछली राजग सरकार के समय भारत के परमाणु सिद्धांत को अमल में लाया गया था और इसके बाद यह भारत के परमाणु हथियारों के संदर्भ में लागू है.
मोदी ने कहा, ‘हर सरकार आमतौर पर रणनीतिक परिदृश्य के ताजा आकलन को संज्ञान में लेती है और जरुरी सामंजस्य बिठाती है. ऐसे मुद्दों पर राष्ट्रीय सहमति और निरंतरता की परंपरा है.’ भविष्य में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) अथवा सीटीबीटी पर भारत के हस्ताक्षर करने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा, ‘एक परमाणु शस्त्र संपन्न राष्ट्र होने तथा वैश्विक निस्त्रीकरण एवं अप्रसार के बीच हमारे दिमाग में कोई अपवाद नहीं है.’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत सार्वभौमिक, भेदभाव रहित, वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर मजबूती से प्रतिबद्ध है तथा अप्रसार का उसका ट्रैक रिकॉर्ड शानदार है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम परमाणु अप्रसार के वैश्विक प्रयासों को मजबूती देना जारी रखेंगे. चार अंतरराष्ट्रीय निर्यातक व्यवस्थाओं में भारत की सदस्यता इसमें सहायक होगी. सीटीबीटी के संदर्भ में मोदी ने कहा, ‘हम परमाणु परीक्षण पर एकतरफा और स्वैच्छिक पाबंदी कायम रखने को प्रतिबद्ध हैं.’ जापानी पत्रकारों ने मोदी से सवाल किया कि ‘चीन के विस्तारवाद’ पर उनकी क्या राय है और सितम्बर में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ उनकी शिखर बैठक में मुख्य विषय क्या होगा? इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे बडे पडोसी के तौर पर चीन की भारत की विदेश नीति में काफी प्राथमिकता है और उनकी सरकार का संकल्प है कि चीन के साथ रणनीतिक और सहयोगात्मक साझीदारी की पूरी क्षमता का दोहन किया जाए.
उन्होंने कहा, ‘मैं संबंध को आगे बढाने तथा हमारे विकास संबंधी लक्ष्यों एवं हमारे लोगों के लिए दीर्घकालीन फायदों के रणनीतिक नजरिए से आगे बढते हुए हमारे द्विपक्षीय संबंध के सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए चीन के नेतृत्व के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हूं.’ मोदी ने कहा कि जुलाई महीने में चीन के राष्ट्रपति के साथ मेरी पहली मुलाकात काफी अच्छी रही थी और वह भारत में उनका स्वागत करने को लेकर उत्सुक हैं. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत, जापान और चीन एशिया में बडे देश हैं और इनके कई साझा हित हैं. हमें इनके आधार पर साथ मिलकर काम करते हुए खुद को एक एशिया सदी में तब्दील करना है.’ भारत-अमेरिका संबंधों पर मोदी ने कहा कि दोनों देश ऐसा मानते हैं कि अपने लोगों, क्षेत्र तथा पूरी दुनिया के फायदे के लिए इस साझीदारी को आगे मजबूत बनाने को अहमियत दी जाए.
उन्होंने कहा, ‘हमें खुद को चुनौती देनी चाहिए ताकि हम इस संबंध में वास्तविक क्षमता को समझ सकें.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ वह सितम्बर में राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ मुलाकात करने वाले हैं. प्रधानमंत्री ने अमेरिका के साथ रणनीतिक साझीदारी को भारत की विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ करार देते हुए कहा, ‘यह साझीदारी न सिर्फ भारत की राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जरुरी है, बल्कि यह एशिया एवं विश्व की शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने वाली है.’

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