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मृदुला सिन्हा गोवा की नयी राज्यपाल,बम्‍बई हाईकोर्ट के जज ने शपथ दिलायी

पणजी: जानी मानी लेखिका और वरिष्ठ भाजपा नेता मृदुला सिन्हा को गोवा का राज्‍यपाल बनाया गया है. उन्‍होंने आज गोवा के राज्यपाल के रुप में शपथ ली. उन्होंने बी.वी. वांचू के इस्तीफे के बाद यह पद संभाला है. बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहित शाह ने मृदुला को पद एवं गोपनीयता की शपथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2014 4:11 PM

पणजी: जानी मानी लेखिका और वरिष्ठ भाजपा नेता मृदुला सिन्हा को गोवा का राज्‍यपाल बनाया गया है. उन्‍होंने आज गोवा के राज्यपाल के रुप में शपथ ली. उन्होंने बी.वी. वांचू के इस्तीफे के बाद यह पद संभाला है. बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहित शाह ने मृदुला को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस अवसर पर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर तथा अन्य हस्तियां मौजूद थीं.

वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में सवाल उठने पर वांचू के इस्तीफे के बाद गोवा में कोई पूर्णकालिक राज्यपाल नहीं था. मृदुला (71) पूर्णकालिक प्रभार के साथ राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनी हैं. बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के छपरा में 27 नवंबर 1942 को जन्मीं मृदुला जानी मानी हिन्दी लेखिका हैं. वह केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड, मानव संसाधन विकास मंत्रलय की पूर्व अध्यक्ष हैं.

वह भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं. उन्होंने जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व वाली ‘समग्र क्रांति’ में सक्रियता से भाग लिया था. मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर करने के बाद उन्होंने बीएड की डिग्री हासिल की थी. उन्होंने बिहार के मोतिहारी स्थित डॉ. एसके सिन्हा वुमेन्स कॉलेज में लेक्चरर के रुप में अपने करियर की शुरुआत की. बाद में वह मुजफ्फरपुर के भारतीय शिशु मंदिर की प्रधानाचार्य बनीं.
उनकी शादी डॉ. राम कृपाल सिन्हा से हुई जो पूर्व में कॉलेज लेक्चरर थे और बाद में बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री बने.
मृदुला ने विभिन्न विषयों पर 46 से अधिक किताबें लिखी हैं. उनके साहित्यिक कार्य में ‘ज्यों मेहंदी को रंग’ (एक उपन्यास-जिस पर दूरदर्शन पर एक लघु फिल्म बनी), ‘नई देवयानी’ (उपन्यास), ‘घरवास’ (उपन्यास), ‘सीता पुनी बोली’ (उपन्यास) और अन्य शामिल हैं. वह दिवंगत राजमाता विजयराजे सिंधिया पर जीवनी भी लिख चुकी हैं.
उनके कहानी संग्रह में ‘एक दिये की दिवाली’, ‘अपना जीवन’ आदि हैं. उन्होंने बच्चों के लिए ‘आइने के सामने’, ‘मानवी के नाते’ और ‘बिहार की लोक कथाएं’ जैसे निबंध भी लिखे हैं. वह विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय हिन्दी अखबारों एवं पत्र-पत्रिकाओं में नियिमित रुप से स्तंभ लिखती रही हैं.

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