सीबीआइ प्रमुख रंजीत सिन्हा का विवादों से चोली-दामन का नाता है

नयी दिल्‍ली : सीबीआइ डायरेक्टर रंजीत सिन्हा एक बार फिर मुश्किलों में घिर गये हैं. इस बार उनकी मुश्किलें टू जी स्प्रेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों की उनसे हुई मुलाकात के कारण बढ़ी है. आयकर विभाग की जांच झेलने वाले लोगों से भी उन्होंने भेंट की है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा पर लगे आरोपों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 4, 2014 1:42 PM

नयी दिल्‍ली : सीबीआइ डायरेक्टर रंजीत सिन्हा एक बार फिर मुश्किलों में घिर गये हैं. इस बार उनकी मुश्किलें टू जी स्प्रेक्ट्रम घोटाले के आरोपियों की उनसे हुई मुलाकात के कारण बढ़ी है.

आयकर विभाग की जांच झेलने वाले लोगों से भी उन्होंने भेंट की है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा पर लगे आरोपों पर विचार करने पर सहमति दे दी है. कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण से इस मामले की संबंधित सील कवर दस्तावेज शपथ पत्र के साथ दायर करने को कहा है.
पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहे 1974 बैच के आइपीएस रंजीत सिन्हा पर 2011 में आरपीएफ मुखिया के रूप में यह आरोप लगाया गया था कि ममता बनर्जी के रेलमंत्री पद से हटने के बाद और पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने पर भी उन्हें आरपीएफ के सुरक्षा बलों की सुरक्षा मिलती रही. हालांकि रंजीत सिन्हा ने इस संबंध में सफाई दी थी कि ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के एक दिन पूर्व उन्होंने आरपीएफ मुखिया का पद छोड़ दिया था.
अप्रैल 2013 में कोयला घोटाले की जांच रिपोर्ट का ड्राफ्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपने से पूर्व उसे तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार को दिखाने के कारण भी रंजीत सिन्हा विवादों में आये थे. रंजीत सिन्हा के सीबीआइ मुखिया रहते ही सीबीआइ के कामकाज पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी प्रकट की थी.
शीर्ष अदालत ने सीबीआइ को पिंजरे में बंद तोते की संज्ञा दी थी. सीबीआइ को दी गयी यह उपमा उसके लिए मीडिया व आमलोगों की बीच बड़ा मजाक बन गया. सिन्हा पर लालू प्रसाद से बेहतर संबंध होने के भी आरोप लगते रहे हैं. लालू के रेलमंत्री रहते ही सिन्हा आरपीएफ के प्रमुख बने थे. सिन्हा ने एक बार कहा था कि सट्टेबाजी को वैध घोषित कर देना चाहिए.
बलात्कार संबंधी उनके बयान पर नारी संगठनों व राजनीतिक दलों ने काफी हंगामा किया था. सिन्हा ने कहा था कि अगर कानून को लागू नहीं किया जा सकता तो यह कहना कि कानून बनाया ही नहीं जाना चाहिए, गलत है. उन्होंने इसकी तुलना बलात्कार से करते हुए कहा था कि यह कहना उतना ही गलत है, जितना यह कहना कि बलात्कार को रोका ही नहीं जा सकता तो बलात्कारी को आनंद उठाना चाहिए.
उन्होंने पिछले वर्ष इशरत जहां मामले में एक आइबी अधिकारी की गिरफ्तारी की बात कह कर भी हंगामा मचा दिया. इससे दो महत्वपूर्ण जांच एजेंसी सीबीआइ-आइबी के बीच आपसी तालमेल नहीं होने का भी आरोप लगा. पवन कुमार बंसल के रेलमंत्री रहते हुए रिश्वत कांड मामले में कुछ बड़े आरपीएफ के खिलाफ कार्रवाई पर भी उनका विरोध हुआ. आरपीएफ अधिकारियों के संगठन का कहना था कि सिन्हा ने आरपीएफ प्रमुख रहते हुए निजी खुन्नस निकालने के लिए यह कार्रवाई की है.

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