नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिक्षक दिवस के मौके पर स्कूली बच्चों को संबोधित करेंगे. इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गयी है. सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ निजी स्कूलों में इसके लिए आवश्यक तैयारी की गयी है.
स्कूलों में प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को प्रधानमंत्री का संबोधन सुनाया जायेगा. सरकारी स्कूलों में भी टेलीविजन की व्यवस्था की गयी है. जहां टेलीविजन की व्यवस्था नहीं होगी, वहां रेडियो के माध्यम से बच्चों को प्रधानमंत्री का संबोधन सुनाया जायेगा. प्रधानमंत्री दिन के 3 से 4.45 बजे तक बच्चों को संबोधित करेंगे.
मोदी के भाषण को इंटरनेट के माध्यम से भी सुना जा सकता है. इसके लिए यू-ट्यूब में विशेष तैयारी की गयी है. इसके साथ दूरदर्शन ने भी प्रधानमंत्री के भाषण को छात्रों तक पहुंचाने के लिए विशेष तैयारी कर ली है.
कुछ प्रदेशों ने इसका विरोध किया है, तो उत्तर प्रदेश समेत कुछ प्रदेश जोर-शोर से कार्यक्रम को सफल बनाने में जुट गये हैं. यूपी की समाजवादी पार्टी सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन स्कूलों में टीवी या कंप्यूटर नहीं है, वहां किराये पर या सामुदायिक भवन से इसकी व्यवस्था की जाये. लैपटॉप के जरिये भी विद्यार्थियों को इससे कनेक्ट करने के निर्देश दिये गये हैं. केरल और तमिलनाडु ने इस कार्यक्रम का विरोध किया है. वहीं, हरियाणा में प्रधानमंत्री से पहले मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा विद्यार्थियों को संबोधित करेंगे. वहीं, महाराष्ट्र में गणेश उत्सव के कारण और झारखंड में करमा के कारण स्कूलों में छुट्टी रहेगी. इधर, पश्चिम बंगाल में भी इसका विरोध हो रहा है. पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि इसके लिए न तो समय है और न ही आधारभूत सुविधाएं.
एनडीए सरकार ने राज्यों को भेजे गये दो पेज के निर्देश में कहा गया था कि शिक्षक दिवस पर प्रधानमंत्री के विशेष भाषण को सुनने की स्कूलों में व्यवस्था की जाये. हालांकि, विरोधी दलों ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की और सरकार की आलोचना की, तो मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पीएम का भाषण स्वैच्छिक है, बाध्यकारी नहीं.
* कांग्रेस ने किया विरोध
मोदी के भाषण को देशभर के बच्चों के बीच प्रसारित किया जाएगा. मोदी को सुनने के लिए स्कूलों में विशेष तैयारी की जा रही है. इसको लेकर कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस के नेता और पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि मोदी को अगर अपना प्रवचन सुनाना ही था तो फिर छूट्टी वाला दिन ही क्यों चुना. भाषण सुनने के लिए बच्चों को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.